शुद्र वाले बयान पर बिफरीं मायावती...याद किया गेस्ट हाउस कांड, बोलीं- सपा अपने गिरेबान में झांके

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Feb, 2023 05:30 PM

mayawati upset over shudra s statement  remembered the guest

रामचरितमानस को लेकर पिछले कई दिनों से विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसको लेकर पक्ष और विपक्ष के नेताओं में जमकर बयानबाजी हो रही है। इसी कड़ी में बसपा सुप्रीमो मायावती भी इस मामले पर पूरी न...

लखनऊ: रामचरितमानस को लेकर पिछले कई दिनों से विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसको लेकर पक्ष और विपक्ष के नेताओं में जमकर बयानबाजी हो रही है। इसी कड़ी में बसपा सुप्रीमो मायावती भी इस मामले पर पूरी नजर बनाए हुए है। ट्वीटर पर सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए मायावती ने लखनऊ गेस्ट हाउस कांड का जिक्र कर दिया। उन्होंने कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय संविधान है, जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं, बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।
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लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को याद करते मायावती ने कहा हुए कहा कि सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था।

 

 

साथ ही मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।

आगे लिखा कि इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं।

मायावती ने लिखा कि साथ ही, सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झाँककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था। वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियाँ इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।

क्या है गेस्ट हाउस कांड? 
ज्ञात हो कि, बाबरी विध्वंस के बाद 1993 में मुलायम सिंह यादव और बसपा अध्यक्ष कांशीराम ने बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन किया जिसमें उन्हें जनता का पूरा समर्थन मिला। मुलायम सिंह के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनी, लेकिन इसके बाद एक रैली में मायावती ने सपा से गठबंधन वापसी की घोषणा कर दी। 2 जून 1995, को मायावती, विधायकों के साथ लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 1 में थीं। अचानक सपा समर्थक गेस्ट हाउस में घुस आए। समर्थकों ने मायावती से अभद्रता की, अपशब्द कहे। खुद को बचाने के लिए मायावती ने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया था। चश्मदीदों के मुताबिक, वे सिर्फ खड़े हुए सिगरेट फूंक रहे थे। इस कांड के बाद तत्कालीन मुलायम सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। मायावती के जीवन पर लिखी पत्रकार अजय बोस की किताब 'बहन जी' में भी इस कांड का जिक्र है।

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