जज्बे को सलाम: जॉब छोड़कर दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा में रंग भर रहीं मनप्रीत कौर

Edited By Ajay kumar,Updated: 06 Nov, 2020 02:50 PM

manpreet kaur is giving color to the talent of disabled children by leaving job

‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों’ इस कहावत को कानपुर की मनप्रीत कौर ने चरितार्थ कर दिखाया है।

कानपुर: ‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों’ इस कहावत को कानपुर की मनप्रीत कौर ने चरितार्थ कर दिखाया है। मनप्रीत दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़कर कानपुर में दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा में रंग भरने का काम कर रही हैं। 

दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी के नाम से संस्था बनाने वाली मनप्रीत कौर दिव्यांग बच्चों में प्रतिभा भरने का काम कर रही हैं। इनकी संस्था में तमाम ऐसे दिव्यांग बच्चे हैं जिनको कला और कलाकारी के माध्यम से उनको निखारा जा रहा है। किसी भी पर्व पर ये दिव्यांग बच्चे वेस्ट मैटीरियल से ऐसी-ऐसी चीजों को बना देते हैं कि देखने वाला दांतों तले ऊँगली दबा ले। दीपावली से पहले ऐसे ही प्रोडक्ट का का स्टाल कानपुर विकास प्राधिकरण में लगाया गया। जिसकी यहां आने वाले अधिकारियों और अन्य लोगों ने काफी सराहना की है।

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कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने की तारीफ 
कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राकेश कुमार ने तारीफ करते हुए कहा कि इनका (मनप्रीत कौर) यह प्रयास काफी सराहनीय है। दिव्यांग बच्चों के प्रोडक्ट को देखकर उपाध्यक्ष खुद को रोक नहीं सके और उन्होंने भी बहुत कुछ खरीदकर दिव्यांगों के मनोबल को बढ़ाया। 

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दिव्यांग बच्चों का सहारा बनीं मनप्रीत कौर
दिव्यांग बच्चों का सहारा बनीं मनप्रीत कौर दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती थीं। उसी दौरान उन्होंने कुछ दिव्यांग बच्चों को देखा, जिसके बाद से उनके प्रति कुछ करने की ठान ली। मनप्रीत अपनी नौकरी छोड़कर कानपुर आ गयीं और दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी के नाम से एक संस्था बना ली। धीरे-धीरे उनकी संस्था में तमाम ऐसे बच्चे आने लगे जो बहुत गरीब घरों से थे। मनप्रीत ने उनको पढ़ाने का जिम्मा लिया और अपने ही घर में उनकी प्रतिभा निखारने लगीं। इसी का नतीजा निकला दिव्यांग बच्चों में ऐसी प्रतिभा जागी कि उन्होंने बेस्ट मैटीरियल से अच्छी-अच्छी चीजों को बनाना शुरू कर दिया। मनप्रीत कौर के इस जज्बे की गूंज जब राजधानी पहुंची तो खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में उनको सम्मानित किया। 

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मूक बधिर बच्चों को भी मुख्य धारा से जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं: मनप्रीत 

मनप्रीत कौर ने बताया कि हम मूक-बधिर बच्चों पर काम कर रहे हैं। कहते हैं कि इनमें कुछ खास होता है तो हमने इसी उद्देश्य से एक प्रदर्शनी लगाई है। जो वेस्ट मटीरियल है उसी से बच्चों ने बहुत सारी चीजें बनाई हैं। दीवाली प्रोडक्ट में दिये, खिलौने, घरेलू चीजें आदि। खास बात ये है जो भी चीजें बनीं हैं सब वेस्ट मटीरियल से ही बनी हैं। हमने बस छोटा सा प्रयास किया है कि और खूबसूरत चीजें इससे कैसे बनाई जाती हैं। नप्रीत कौर ने बताया कि अगर मूक बधिर बच्चों में किसी चीज की कमी रहती है तो कुछ न कुछ चीजें उन्हें दे देता है। जो बच्चे बोल नहीं सकते हैं उनके हाथ काम करते हैं। अगर हम सुन नहीं सकते तो वो काम हमारी आंखें करती हैं। हम अपने छोटे से प्रयास से इन्हें मुख्य धारा से जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं। 

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