इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसलाः चुनाव याचिका के साथ हलफनामा दाखिल करना अनिवार्य

Edited By Ajay kumar,Updated: 23 Jan, 2023 05:18 PM

mandatory filing of affidavit with election petition high court

चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले उम्मीदवारों को शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है बावजूद इसके कुछ उम्मीदवार इसका पालन नहीं करते। बाद में ये लोग हलफनामा दाखिल कर इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। जिसपर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है।

प्रयागराज: चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले उम्मीदवारों को शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है बावजूद इसके कुछ उम्मीदवार इसका पालन नहीं करते। बाद में ये लोग हलफनामा दाखिल कर इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। जिसपर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। अपने एक अहम फैसले में कोर्ट ने कहा कि चुनाव याचिका दायर करते समय शपथ पत्र दाखिल न करने के दोष को बाद में हलफनामा दाखिल करने से ठीक नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ चुनाव गया था। न्यायाधिकरण को पहली बार में अंक संख्या 12, 15 और 16 पर निर्णय लेने के निर्देश के साथ विनियामक आदेश के निस्तारण के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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याची एक निर्वाचित उम्मीदवार (प्रधान) है
इस मामले में याची एक निर्वाचित उम्मीदवार (प्रधान) है, जबकि विपक्षी (चुनाव याची) चुनाव में उपविजेता था और दोनों में जीत का अंतर 16 मतों का था। विपक्षी ने उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 की धारा 12-सी के तहत चुनाव याचिका दायर की थी। हालांकि उक्त चुनाव याचिका हलफनामे द्वारा समर्थित नहीं थी और यह उनकी उपस्थिति में दायर किया गया था।

हलफनामे के बिना दायर की गई चुनाव याचिका खारिज की जा सकती है
याची ने विशिष्ट दावे के साथ प्रस्तुत किया कि किसी भी हलफनामे के बिना दायर की गई चुनाव याचिका खारिज करने के योग्य होती है। इलेक्शन ट्रिब्यूनल ने 18 मुद्दे तैयार किए, जिसमें मुद्दा नम्बर 15 चुनाव याचिका के समर्थन में हलफनामा दाखिल न करने के प्रभाव से संबंधित था। याची ने विचार करने और निर्णय लेने के लिए प्रारंभिक आपत्ति दर्ज की थी, जिसे बाद में चुनाव ट्रिब्यूनल द्वारा खारिज कर दिया गया था।

एक निर्वाचित उम्मीदवार के चुनाव को चुनौती देना एक गंभीर मामला
कोर्ट ने कहा कि एक निर्वाचित उम्मीदवार के चुनाव को चुनौती देना एक गंभीर मामला है, जिसमें विपक्षी को कानूनी आधार पर चुनाव को रद्द करने के लिए एक मामला स्थापित करना होता है और इसके लिए याचिका एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उपरोक्त अधिनियम, 1947 के साथ-साथ उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत चुनाव याचिका के लिए कोई विशिष्ट प्रारूप निर्धारित नहीं है, हालांकि नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत निर्धारित सिद्धांत और प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए और चुनाव याचिका सहित हर याचिका की पुष्टि एक हलफनामे द्वारा की जानी चाहिए। अंत में कोर्ट ने कहा कि चुनाव याचिका के समर्थन में हलफनामा दाखिल करना एक अनिवार्य प्रावधान है, जिसका अनुपालन नहीं किया गया था और यह असाध्य है,  इसलिए बाद में हलफनामा दाखिल करने का कोई परिणाम नहीं होगा। उपरोक्त के मद्देनजर कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर लिया।

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