झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: कई पीड़ित परिवार को नहीं मिले बच्चे, नाराज अभिभावक धरने पर बैठे

Edited By Ramkesh,Updated: 16 Nov, 2024 03:17 PM

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उत्तर प्रदेश के झांसी जिले मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत मामले को लेकर नाराज अभिभावक धरने पर बैठ गए है। उनकी मांग है कि अभी तक उनका बच्चा नहीं मिला है न ही बच्चे के बारे में कुछ भी बताया जा रहा है।

झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत मामले को लेकर नाराज अभिभावक धरने पर बैठ गए है। उनकी मांग है कि अभी तक उनका बच्चा नहीं मिला है न ही बच्चे के बारे में कुछ भी बताया जा रहा है। जिससे नाराज पीड़ित परिवार घरने पर बैठ गए है। उनकी मांग है कि घटना की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं सरकार ने कुछ  घंटों बाद, राज्य सरकार ने शनिवार को मृतकों के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

सीएम राहत कोष से मृतक के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की मदद
 बयान में कहा गया है, ‘‘घटना में असामयिक मृत्यु का शिकार हुए नवजात शिशुओं के माता-पिता को मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है।'' इस बीच, प्रयागराज के फूलपुर में शनिवार दोपहर को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में शॉर्ट सर्किट से लगी आग से दर्दनाक त्रासदी हुई और 10 नवजातों की मौत हो गई।

घटना के संबंध में सीएम ने मांगी 12 घंटे में रिपोर्ट
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि अन्य बच्चों को बचाया जाए, हम राहत और बचाव प्रयासों का समन्वय करते हुए पूरी रात जागते रहे और इसीलिए मेरे यहां पहुंचने में देरी हुई। पुलिस और प्रशासन लगातार काम कर रहे हैं। इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक बयान में कहा गया है कि शुक्रवार देर रात घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को मौके पर भेजा। इसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री रात भर घटनास्थल से हर पल की जानकारी लेते रहे। बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने झांसी के संभागीय आयुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) को घटना के संबंध में 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में शुक्रवार रात महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 शिशुओं की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि इस हादसे में घायल हुए 16 अन्य बच्चे जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

10 नवजात बच्चों की मौत
जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अविनाश कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे आग लग गई, जो संभवतः शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को  कहा, ‘‘घटना में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई है। झांसी मेडिकल कॉलेज के अन्य वार्ड में 16 बच्चों का इलाज जारी है।'' उन्होंने बताया कि यह घटना बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुई और उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शनिवार को ‘एक्स' पर बृजेश पाठक ने कहा, ‘‘झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू वार्ड) में अग्निकांड की हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की त्रिस्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। प्रथम दृष्टया आयुक्त झांसी एवं उपमहानिरीक्षक झांसी द्वारा 24 घंटे में जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश जारी किए हैं।

 घटना के मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश
अग्निशमन विभाग द्वारा भी जांच की जाएगी। साथ ही घटना की मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। झांसी में पाठक ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम बच्चों के साथ उनके परिजनों की भी पहचान कर रहे हैं। मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटना कैसे हुई, इसके क्या कारण थे और किसकी ओर से लापरवाही हुई, इसका पता लगाया जाएगा। सबसे पहली चुनौती घायल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण उपचार देना है।'' महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झांसी के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सेंगर ने कहा, ‘‘एनआईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण दुखद घटना हुई। यहां एनआईसीयू वार्ड में 25 बच्चों का उपचार किया जा रहा है, 16 बच्चे मेडिकल कॉलेज में उपचार करा रहे हैं, जो किसी तरह से झुलसने या दम घुटने से पीड़ित नहीं हैं, बल्कि उन्हें जो बीमारियां हैं, उनका उपचार हो रहा है। एक बच्चे का जिला अस्पताल में उपचार हो रहा है, सात बच्चों का अन्य अस्पतालों में उपचार हो रहा है। एक बच्चे को छुट्टी दे दी गई है।''उन्होंने कहा कि अस्पताल में उपचार करा रहे बच्चों को झुलसने या दम घुटने से कोई परेशानी नहीं है, उन्हें समुचित उपचार दिया जा रहा है।

16 घायल बच्चों का चल रहा इलाज
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुधा सिंह ने शनिवार सुबह संवाददाताओं को बताया कि 16 घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है और उनकी जान बचाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए सभी चिकित्सक उपलब्ध हैं और पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं भी हैं। सिंह ने कहा कि 10 बच्चों की मौत हो गई और अन्य को या तो बचा लिया गया या वे घायल हैं।

घटना के समय 54 बच्चे थे भर्ती
ऐसी भी जानकारी मिली है कि एनआईसीयू में आग लगने के बाद कुछ माता-पिता अपने बच्चों को घर ले गए। उन्होंने कहा कि पुलिस एनआईसीयू में भर्ती बच्चों की संख्या और उनकी वर्तमान स्थिति की पुष्टि करने का प्रयास कर रही है। सिंह ने कहा, ‘‘मेडिकल कॉलेज ने बताया है कि घटना के समय 52 से 54 बच्चे भर्ती थे। उनमें से 10 की मौत हो गई, 16 का इलाज जारी है जबकि अन्य के लिए सत्यापन जारी है।'' उन्होंने कहा कि देर रात करीब एक बजे एनआईसीयू में बचाव अभियान पूरा हो गया। 

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