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रामपुरः मां के जुर्म की सजा जेल में भुगत रही 6 माह की मासूम बच्ची, कारागार प्रशासन भी रखेगा ख्याल

Edited By Ajay kumar,Updated: 02 Apr, 2023 09:58 AM

innocent reached jail with mother jail administration will also take care

माता-पिता की गलती की सजा अक्सन मासूम बच्चों को भुगतना पड़ता है। एसा ही एक मामला प्रदेश के रामपुर जिले से सामने आया है। दरअसल जानलेवा हमले के आरोप में गिरफ्तार हुई मां के साथ उसकी छह माह की एक बेगुनाह मासूम बच्ची भी जिला कारागार की सलाखों के पीछे बंद...

रामपुर: माता-पिता की गलती की सजा अक्सर मासूम बच्चों को भुगतना पड़ता है। एसा ही एक मामला प्रदेश के रामपुर जिले से सामने आया है। दरअसल जानलेवा हमले के आरोप में गिरफ्तार हुई मां के साथ उसकी छह माह की एक बेगुनाह मासूम बच्ची भी जिला कारागार की सलाखों के पीछे बंद है। हालांकि कारागार प्रशासन ने बच्ची के खानपान का हर तरह से ख्याल रख रहा है। जहां महिला अपनी प्यारी बच्ची को ममता दे रही है वहीं जिला कारागार प्रशासन भी बच्ची के खानपान का पूरा ख्याल रख रहा है।

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जिला कारागार में मौजूदा समय में करीब एक हजार बंदी
जिला कारागार में मौजूदा समय में करीब एक हजार बंदीजन हैं। जिसमें कुछ महिला बंदी भी शामिल हैं जोकि किसी ना किसी मामले में आरोपित हैं तो कुछ को सजा हो चुकी है। इन्हीं बंदियों में एक महिला और भी शामिल है जोकि पिछले दिनों 25 मार्च को सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एक गांव से आई है। महिला को जानलेवा हमले के आरोप में पुलिस पकड़ा था। आरोप है कि उसने अपने किसी रिश्तेदार पर हमला कर दिया था। लेकिन वह महिला अकेली नहीं बल्कि उसके साथ उसकी छह माह की मासूम बच्ची भी जेल की सलाखों में कैद हो गई है, जिसने कोई गुनाह नहीं किया है उसके बाद भी वह मां के साथ बंद है। कौन सी ऐसी पारिवारिक परिस्थितयां हैं जिनकी वजह से अभी महिला की जमानत की व्यवस्था नहीं हुई है।

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किसी ने रखा गुड़िया तो किसी मुन्नी नाम
जिला कारागार में आरोपी महिला की मासूम बच्ची को कई नाम मिल चुके हैं। जब बच्ची किलकारियां मारकर रोती है तो लोग गोद में खिलाने लगते हैं। कोई उसको बेबो,  तो कोई गुड़िया, मुन्नी कहकर खिलाता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने दी ये गाइडलाइन
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए गाइडलाइन बनाई है, जिसके अनुसार जेल में बंद महिला बंदियों के साथ उनके 6 साल तक के बच्चों को साथ रखने की अनुमति है। इन बच्चों की मनोदशा पर जेल के माहौल का विपरीत प्रभाव न पड़े, इसलिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं। इन्ही नियमों एवं कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार जेल प्रशासन बच्चों की देखरेख करता है। बच्चों को खाने के लिए फल, पीने के लिए दूध, भोजन में खीर आदि पौष्टिक आहार दिया जाता है, जिससे वह शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर न हो पाएं।

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बच्ची का पूरी तरह से रखा जा रहा ख्यालः जिला कारागार अधीक्षक
जिला कारागार अधीक्षक प्रशांत मौर्या ने बताया कि सिविल लाइन पुलिस ने 25 मार्च को एक महिला को जानलेवा हमले के आरोप में जेल में दाखिल किया था, लेकिन उसके साथ एक छह माह की मासूम बच्ची भी है। उसका गाइड लाइन के मुताबिक पूरी तरह से ख्याल रखा जा रहा है।

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