वैश्विक सरोकारों से जुड़ती हुई बहुआयामी स्वरूप ग्रहण कर रही भारतीय विदेश नीति: विदेश मंत्री

Edited By Mamta Yadav,Updated: 11 Dec, 2022 12:59 AM

indian foreign policy is taking a multidimensional form by connecting

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारतीय विदेश नीति अब ज्यादा वैश्विक सरोकारों से जुड़ती हुई बहुआयामी स्वरूप ग्रहण कर रही है तथा इसमें अब ज्यादा भू-रणनीतिक यथार्थ और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के राष्ट्रीय हित को संरक्षित करने की क्षमता...

वाराणसी: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारतीय विदेश नीति अब ज्यादा वैश्विक सरोकारों से जुड़ती हुई बहुआयामी स्वरूप ग्रहण कर रही है तथा इसमें अब ज्यादा भू-रणनीतिक यथार्थ और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के राष्ट्रीय हित को संरक्षित करने की क्षमता निर्मित हुई है। उन्होंने कहा कि “भारत को अभी हाल में ही जी-20 की अध्यक्षता प्राप्त हुई है और जल्दी ही बनारस में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की जाएगी।”

काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय में आयोजित एक विशेष व्‍याख्‍यान को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ''कोरोना के वैश्विक प्रसार के दौरान भारत ने न केवल अपनी आबादी को सुरक्षित किया, बल्कि दुनिया भर में इसके टीके को निर्यात कर वैश्विक नेतृत्व का परिचय दिया।'' उन्होंने कहा, ''हमने वैश्विक विमर्श को अब आकार देना शुरू किया है और आने वाले दिनों में दुनिया भर के वैश्विक सवालों को सुलझाने का भी सामर्थ्य हमारी विदेश नीति में होगा।'' उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय रूप से अधिक प्रभावशाली बना है।

उन्होंने कहा, ‘‘ एक समय था जब दुनिया भारत और पाकिस्तान को समान रूप से देखती थी। आज कोई ऐसा नहीं करता, यहां तक पाकिस्तानी भी नहीं करते।'' उन्होंने कहा , ‘‘ दक्षेस सक्रिय नहीं है क्योंकि उसका एक सदस्य मानता है कि पड़ोसी के साथ संबंध सीमापार आतंकवाद के अनुरूप है। ऐसे देश हैं जिन्होंने हमारी समस्या पर कभी स्पष्ट रूख नहीं अपनाया लेकिन वे हमसे उनकी समस्या पर रूख अपनाने को कह रहे हैं।'' वैश्विक व्यवस्था पर पश्चिम का प्रभाव घटने का दावा करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘ हमें स्वतंत्र शक्ति बने रहने की जरूरत है। दुनिया उस देश का सम्मान करती है जो अपने लिए खड़ा रहता है।''

जयशंकर ने कहा, '' इस 21वीं सदी में डेटा, तकनीक और विचारों की ताकत से ही नई दुनिया पर राज किया जा सकता है।'' उन्होंने कहा कि भारत के महत्वपूर्ण शक्ति बनने की आकांक्षा बिना ज्ञान के पावर हाउस बने संभव नहीं है और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अपने विशाल ज्ञान नेटवर्क और मानव संसाधन के साथ इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मंत्री ने कहा कि काशी सभ्यता, ज्ञान और विमर्श की नगरी रही है और एक मूल्य के रूप में यह विश्वविद्यालय आजादी के बाद के भारत की सर्वोत्तम आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है। केंद्रीय विदेश मंत्री इससे पूर्व बीएचयू के एम्फी थियेटर में आयोजित काशी तमिल संगमम में लगे हुए प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने काशी तमिल संगमम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के बीच दोस्ताना बास्केटबॉल मैच का भी उद्घाटन किया।

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