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UP Politics News: क्या 2027 में यूपी में होगा बंटवारा? जनसंख्या 25 करोड़ पार, परिसीमन से बढ़ सकती हैं 100 विधानसभा सीटें

Edited By Anil Kapoor,Updated: 05 Dec, 2024 02:32 PM

how will up be divided in 2027 population will cross 25 crores

UP Politics News: उत्तर प्रदेश जिसकी जनसंख्या अगले साल 25 करोड़ को पार कर जाएगी, में जनगणना और परिसीमन के बाद 2 से 3 नए राज्य बनाने की मांग फिर से उठ सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश का बंटवारा करने की मांग बढ़ेगी, खासकर...

UP Politics News: उत्तर प्रदेश जिसकी जनसंख्या अगले साल 25 करोड़ को पार कर जाएगी, में जनगणना और परिसीमन के बाद 2 से 3 नए राज्य बनाने की मांग फिर से उठ सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश का बंटवारा करने की मांग बढ़ेगी, खासकर बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की। आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं।

1. 2025 में होगी जनगणना
देशभर में जनगणना 2025 में होगी। माना जा रहा है कि जनवरी-फरवरी 2025 में यह शुरू होगी और दिसंबर 2025 तक पूरी होगी। उत्तर प्रदेश की वर्तमान जनसंख्या 24 करोड़ से अधिक है, और जनगणना के बाद यह 25 करोड़ को पार कर जाएगी। यूपी देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और अगर दुनिया की बात करें, तो चीन, अमेरिका, इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद यूपी की जनसंख्या सबसे अधिक है।

2. 2027 में होगा परिसीमन
लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन 2027 में होने की संभावना है। परिसीमन का आधार जनगणना के आंकड़े होंगे। यूपी में वर्तमान में 403 विधानसभा और 80 लोकसभा क्षेत्र हैं। परिसीमन के बाद इन सीटों में 20 से 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हो सकती है। इसके साथ ही अनुमान है कि विधानसभा सीटें 500 और लोकसभा सीटें 100 से अधिक हो सकती हैं।

3. बंटवारे की संभावना बढ़ेगी
परिसीमन के बाद यूपी में विधानसभा और लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ने से राजनीतिक संतुलन पर असर पड़ सकता है। अधिक सीटों का मतलब यह हो सकता है कि यूपी के मुख्यमंत्री का केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ेगा, जिससे राज्य का बंटवारा एक संभावना बन सकती है।

4. यूपी का बंटवारा क्यों जरूरी?
वर्तमान में यूपी की विधानसभा में 403 सीटों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। विधानसभा में अधिक सीटें बढ़ने से जगह की समस्या होगी। ऐसे में, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यूपी का बंटवारा करके 2 या 3 छोटे राज्य बनाए जा सकते हैं। इससे विधानसभा और लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया भी आसान हो सकती है, और यह "वन नेशन, वन इलेक्शन" के मॉडल को भी बढ़ावा दे सकता है।

5. राजनीतिक दृष्टिकोण
बसपा की मायावती सरकार ने 2011 में यूपी के बंटवारे का प्रस्ताव विधानसभा में पारित किया था, जिसमें बुंदेलखंड, अवध प्रदेश, हरित प्रदेश और पूर्वांचल प्रदेश बनाने की बात की गई थी। हालांकि, समाजवादी पार्टी हमेशा यूपी के बंटवारे का विरोध करती रही है, क्योंकि इससे उसका वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। भाजपा और आरएसएस छोटे राज्यों के समर्थक रहे हैं, और यदि यह निर्णय भाजपा के लिए फायदेमंद हुआ तो केंद्र सरकार इसे आगे बढ़ा सकती है।

6. जनप्रतिनिधियों का रुख
कुछ नेता जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और उमा भारती ने बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग की है। उनका मानना है कि छोटे राज्य बेहतर विकास कर सकते हैं, जैसा कि हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड में हुआ। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यूपी के बंटवारे को गैरजरूरी बताया है और जनसंख्या को एक लाभ बताया है, जिसका सही उपयोग किया जा सकता है।

7. केंद्र का रुख
केंद्र सरकार को यूपी के बंटवारे के लिए विधानसभा से प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि 2011 में यह प्रस्ताव भेजा जा चुका था, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सका। केंद्र सरकार यदि चाहे तो यूपी का बंटवारा कर सकती है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि केंद्र सरकार विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज कर सकती है, जिससे बंटवारे की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के बंटवारे पर अब फिर से बहस शुरू हो गई है, और यह निर्णय जनगणना और परिसीमन के बाद लिया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए राजनीतिक दलों और केंद्र सरकार का सहमति होना जरूरी होगा। बंटवारे से जुड़े फायदे और नुकसान को देखते हुए, यह एक बड़ा और संवेदनशील मुद्दा बन सकता है।
 

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