Loksabha Election 2024: एटा लोकसभा सीट का इतिहास,  जनता इस बार किस पर करेगी विश्वास ?

Edited By Imran,Updated: 03 Apr, 2024 01:38 PM

history of etah lok sabha seat whom will the public trust this time

एटा लोकसभा सीट हमेशा से वीआईपी सीटों में गिनी जाती है। यहां से बीजेपी के महा दीपक सिंह शाक्य ने 6 बार चुनाव जीता और एक तरीके से इस सीट को बीजेपी का गढ़ बना दिया। बीजेपी के कल्याण सिंह भी यहां से सांसद रह चुके हैं, कल्याण के बाद उनके पुत्र राजवीर...

Loksabha Election 2024: एटा लोकसभा सीट हमेशा से वीआईपी सीटों में गिनी जाती है। यहां से बीजेपी के महा दीपक सिंह शाक्य ने 6 बार चुनाव जीता और एक तरीके से इस सीट को बीजेपी का गढ़ बना दिया। बीजेपी के कल्याण सिंह भी यहां से सांसद रह चुके हैं, कल्याण के बाद उनके पुत्र राजवीर सिंह  भी यहां से सांसद चुने गए। बात अगर इस सीट के इतिहास की करें तो आजादी के बाद 1952 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। लेकिन अगले ही चुनाव 1957 और 1962 में ये सीट हिंदू महासभा के खाते में चले गई। 
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हालांकि 1967 और 1971 का चुनाव जीत कर कांग्रेस ने यहां दोबारा से वापसी की लेकिन 1977 में चली कांग्रेस विरोधी लहर में चौधरी चरण सिंह की भारतीय लोकदल ने इस सीट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की वहीं 1980 के चुनाव में यहां से आखिरी बार कांग्रेस जीत पाई थी। 1984 में लोकदल के जीत दर्ज करने के बाद यह सीट बीजेपी के खाते में गई। जिसके बाद बीजेपी ने यहां पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 1989, 1991, 1996 और 1998 में बीजेपी के महादीपक सिंह शाक्य ने यहां जीत दर्ज की। जबकि 1999 और 2004 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और यहां से चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे। वहीं 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह यहां से सांसद चुने गए।

बात करें विधानसभा सीट कि तो यहां एटा जिले की 2 सीटें एटा और मारहरा सीटें आती हैं...जबकि कासगंज जिले कि कासगंज, अमॉपुर, पटियाली सीटें इस लोकसभा में आती हैं।
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2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां सभी दलों को धूल चटाते हुए चार सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि पटियाली सीट समाजवादी पार्टी के खाते में चले गई।

2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मतदाताओं की संख्या 
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2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एटा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख 7 हजार 290 थी, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 70 हज़ार 601थी। जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 36 हजार 641थी। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 48 रही। 

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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एटा लोकसभा सीट पर साल 2019 में हुए चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर बीजेपी के राजवीर सिंह ने कब्जा जमाया था। राजवीर सिंह कल्याण सिंह के पुत्र हैं और कल्याण सिंह भी यहां से सांसद रह चुके हैं। साल 2019 के चुनाव में राजवीर सिंह ने सपा के देवेंद्र सिंह यादव को चुनाव हराया था। देवेंद्र सिंह यादव सपा-बसपा के गठबंधन से मैदान में उतरे थे। राजवीर सिंह को कुल 5 लाख 45 हजार 348 वोट मिले थे। वहीं सपा के देवेंद्र सिंह यादव को 4 लाख 22 हज़ार 678 वोट मिले थे।

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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एटा लोकसभा सीट पर 2014 में हुए चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर बीजेपी के राजवीर सिंह ने पहली बार जीत दर्ज की थी। राजवीर सिंह ने सपा के देवेंद्र सिंह यादव को चुनाव हराया था। राजवीर सिंह को कुल 4 लाख 74 हजार 978 वोट मिले थे। वहीं सपा के देवेंद्र सिंह यादव को 2 लाख 73 हज़ार 977 वोट मिले थे। जबकि तीसरे नंबर पर बसपा के नूर मोहम्मद खान थे। नूर मोहम्मद को कुल 1 लाख 37 हज़ार 237 वोट मिले थे।

एक नजर लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे
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साल 2009 में एटा सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में कल्याण सिंह ने यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कि कल्याण सिंह ने बसपा के कुंवर देवेंद्र सिंह यादव को चुनाव हराया। कल्याण सिंह को कुल 2 लाख 75 हज़ार 717 वोट मिले। जबकि बीएसपी के देवेंद्र सिंह यादव को 1 लाख 47 हज़ार 749 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के श्याम सिंह शाक्य रहे। श्याम सिंह शाक्य को 88 हज़ार 562 वोट मिले थे।

एक नजर लोकसभा चुनाव 2004 के नतीजे
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अब एक नजर साल 2004 में हुए लोकसभा चुनावों पर डालें। तो एटा सीट पर समाजवादी पार्टी के कुवंर देवेंद्र सिंह यादव ने जीत दर्ज की  थी। देवेंद्र ने बीजेपी के अशोक शाक्य को हराया था। देवेंद्र सिंह यादव को कुल 2 लाख 76 हज़ार 156 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के अशोक रतन शाक्य को 2 लाख 24 हज़ार 821 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बसपा के रामगोपाल शाक्य रहे। रामगोपाल को 56 हज़ार 873 वोट मिले थे। 

ये सीट पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम से भी जानी जाती है
महान सूफी संत अमीर खुसरो की जन्मभूमि एटा को उत्तर प्रदेश के राजनीतिक लिहाज से काफी अहम माना जाता है। एटा संसदीय सीट उत्तर प्रदेश के चर्चित लोकसभा सीटों में शुमार की जाती है। ये सीट पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम से भी जानी जाती है। उनके परिवार का यहां पर 2009 से ही बादशाहत है। जातीय समीकरण के लिहाज से देखा जाए तो एटा संसदीय क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। एटा क्षेत्र में लोधी, यादव और शाक्य बहुल जातियां रहती हैं। जबकि मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं। वहीं अगर बात साल 2024 के लोकसभा चुनाव की करें। तो इस बार भी बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि सपा ने देवेश शाक्य पर दांव खेला हैं। 

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