ज्ञानवापी विवाद पर इतिहाकार इरफान हबीब की दो टूक- 'तो आप भी लाल किला-ताजमहल तोड़कर देख लो'

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 23 May, 2022 06:39 PM

historian irfan habib bluntly on the gyanvapi controversy   so you also

यूपी में इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इसको लेकर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष में लगातार बयानबाजी हो रही है। हालांकि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। वहींं अब लेखक और इतिहासकार...

वाराणसी: यूपी में इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इसको लेकर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष में लगातार बयानबाजी हो रही है। हालांकि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। वहींं अब लेखक और इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ज्ञानवापी मसले पर प्रतिक्रिया दी है। एस इरफान हबीब ने कहा कि इतिहास ने कभी इस बात से इनकार नहीं किया कि मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं, ये बातें सब इतिहास में दर्ज हैं, जो दावे किए जा रहे हैं कि पहली बार पता चल रहा है। ये सब मनगढंत है। उन्होंने कहा कि एक बार सारे स्ट्रक्चर को तोड़ दें। ध्वस्त करके देख लें। सब कुछ सामने आ जाएगा। इतनी डिबेट करने की जरूरत नहीं है।

'मंदिरों को क्यों तोड़ा गया? उसका भी अपना एक अलग इतिहास है'
उन्होंने कहा कि यह दावा गलत है कि सब कुछ पहली बार कहा जा रहा है और पता चल रहा है। इतिहासकारों ने साक्ष्य पाया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं। ‌अगर हम इतिहास में जाएंगे तो औरंगजेब के कई सारे फरमान हैं जिन्हें इतिहासकारों ने भी लिखा है कि मंदिरों को तोड़ा गया और वहां मस्जिदें बनाई गईं। यहां तक कि मंदिरों को क्यों तोड़ा गया? उसका भी अपना एक अलग इतिहास है।

एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए हबीब ने कहा कि उस काल में जो कुछ भी हुआ, वह सब इतिहास में दर्ज है, लेकिन आज जो दावा किया जा रहा है कि यह पहली बार लोगों को बताया जा रहा है और इतिहासकारों ने कुछ नहीं बताया है, यह सब गलत बातें हैं। यह सब चीजें पहले से ही इतिहास में दर्ज थीं। बात यह है कि आप इतिहास में कितना पीछे जाना चाहते हैं? आप मध्यकालीन युग में ही क्यों रुकते हैं और पीछे क्यों नहीं जाते?

इतिहास को ही सही करना है तो आप बौद्ध काल में जाइए‌- हबीब
उन्होंने कहा कि अगर आपको इतिहास को ही सही करना है तो आप बौद्ध काल में जाइए‌, जहां अशोका के बाद पुष्यमित्र शुंग जो ब्राह्मण था और अशोक का दरबारी था। जब उसके पास शासन आया और साम्राज्य स्थापित हुआ तो उसने सारे बौद्ध विहार तोड़ दिए, यह सब भी इतिहास में दर्ज है। मगर, वोट बैंक के लिए ये मसला नहीं है। उन्होंने कहा कि हबीब ने कहा कि आपको हिंदू-मुस्लिम विवाद का इतिहास रचना है और दिखाना है कि मध्यकालीन भारत में कुछ नहीं हुआ। सिवाय हिंदू-मुस्लिम और मंदिर तोड़ने के। उन्होंने ज्ञानवापी मामले में कहा कि वह शिवलिंग कैसे हो सकता है और वह वहां कैसे रहा, जहां 400 साल से मस्जिद चल रही है। अगर मुसलमान चाहते तो उसे खत्म कर सकते थे। वह शिवलिंग को कैसे संभाल कर रखे हुए हैं। यानी मुसलमानों ने उसकी बड़ी इज्जत की और उसको कायम रखा।

वह शिवलिंग नहीं है वह सिर्फ फव्वारा है...
हबीब इतने पर नहीं रूके उन्होंने कहा कि वह शिवलिंग नहीं है वह सिर्फ फव्वारा है और बड़ी मस्जिदों में जगह-जगह फव्वारे मिलेंगे। मेरठ में हमारी फौज वाली मस्जिद है वहां पर भी फाउंटेन है जितनी भी बड़ी मस्जिदें हैं जहां जगह है- वहां वजू के लिए जगह बनाई जाती है और ब्यूटीफिकेशन के लिए फाउंटेन लगाया जाता है और यह उसी तरह का फव्वारा है। हबीब का कहना था कि वह फव्वारा बहुत दिन से बंद है। बहुत लोगों ने उसमें काफी नीचे तक सीक डालकर देखा है, लेकिन शिवलिंग इस तरह नहीं होता है। ये फव्वारा अब बहुत सालों से फंक्शनल नहीं है और हमारे बहुत सारे फव्वारे बंद पड़े हुए हैं। ‌उन्होंने कहा कि यह एक्सेप्टेड सेट है कि उस जमाने में बहुत सारे मंदिर तोड़े गए और उस पर मस्जिद बनाए गए। क्योंकि वह अपनी अथॉरिटी को दिखाने के लिए मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाते थे।

उन्होंने कहा कि बहुत सारे हिंदू राजा हैं, जिन्होंने भी यह काम किया। वह भी अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाहते थे। वो जिसको हराते थे, उनके इष्ट देव के मंदिर को तोड़ते थे और अपनी देवी को स्थापित करते थे, लेकिन यह उस समय एक परंपरा थी। कश्मीर का एक राजा हर्ष था, जो इतिहास में पहचाना जाता है। उसने बहुत सारे मंदिर तोड़े। चोला राजाओं ने बंगाल की सेना डायनेस्टी पर हमला किया और हमले के बाद जितने मंदिर थे, उन सब को तोड़ा और वहां से कुछ मूर्ति लेकर दक्षिण भारत चले गए, जबकि दोनों हिंदू थे। 

देश के सारे स्ट्रक्चर तोड़कर देख लीजिए- इतिहासकार हबीब
कुतुब मीनार का इतिहास कुतुब मीनार खुद बताता है और उस पर सब कुछ लिखा हुआ है। यह नए मटेरियल से बना हुआ है। यह मंदिरों के अवशेषों से बना है। किसके नीचे क्या है, यह कौन जानता है। जामा मस्जिद के नीचे बताया जा रहा है कि कुछ है। ऐसे जितने ढांचे हैं उन सबको अब तोड़ दीजिए। ताजमहल-लालकिला तोड़ दीजिए। जामा मस्जिद को ध्वस्त करके निकाल कर देखिए जो कुछ मिलेगा वह सामने आ जाएगा। यह यूनेस्को हेरीटेज साइट हैं और दुनिया अच्छा मानती है। दूसरे लोगों ने किया है तो आप भी कर दीजिए।

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