Edited By Ajay kumar,Updated: 20 Jan, 2024 09:21 AM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेडिकल के एक छात्र को राहत देते हुए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ को निर्देश दिया है कि वह छात्र को मेडिकल, तृतीय वर्ष की परीक्षा में बैठने की अस्थायी रूप से अनुमति दें। इ
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेडिकल के एक छात्र को राहत देते हुए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ को निर्देश दिया है कि वह छात्र को मेडिकल, तृतीय वर्ष की परीक्षा में बैठने की अस्थायी रूप से अनुमति दें। इसके साथ ही कोर्ट ने 45 दिनों के अंदर विश्वविद्यालय को छात्र के मामले से संबंधित रिपोर्ट के संदर्भ में एक नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की एकलपीठ ने रुद्रांश वाष्र्णेय की याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया है।
क्या है मामला?
मामले के अनुसार याची चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध जीएस मेडिकल कॉलेज, पिलखुवा, हापुड़ में तृतीय वर्ष (सत्र 2020-25) का छात्र है। याची पैथोलॉजी पेपर द्वितीय वर्ष की पूरक परीक्षा में उपस्थित हुआ था, लेकिन उसने कुल 200 अंकों में से 50% से भी कम अंक प्राप्त किये, इसलिए वह परीक्षा में असफल घोषित किया गया। जहां अन्य छात्रों को एलएलआरएम कॉलेज, मेरठ से संपर्क करने का निर्देश दिया गया, वहीं याची को विश्वविद्यालय से संपर्क करने के लिए कहा गया, जहां अभी भी उसका मामला लंबित है। इस बीच तृतीय वर्ष की परीक्षा की घोषणा कर दी गई है, जो 20 जनवरी 2024 से प्रस्तावित है।
याची के अनुरोध पर कोर्ट ने दी परीक्षा में बैठने की अनुमति
याची के अधिवक्ता का कहना है कि याची ने प्रश्न संख्या 4 और 6 के उत्तर सही दिए हैं, जिन्हें किसी भी पाठ्य पुस्तक से सत्यापित किया जा सकता है, लेकिन विश्वविद्यालय ने उक्त प्रश्नों के लिए याची को कोई अंक नहीं दिए, क्योंकि रिपोर्ट अभी भी प्रतीक्षित है, इसलिए याची का अनुरोध है कि उसे आगामी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। इसी के सापेक्ष कोर्ट ने छात्र को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्देश दिया है।