Edited By Harman Kaur,Updated: 20 Sep, 2023 04:57 PM

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP की निचली अदालतों को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालतें पोस्ट ऑफिस की तरह काम कर रही हैं....
Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP की निचली अदालतों को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालतें पोस्ट ऑफिस की तरह काम कर रही हैं। कोर्ट ने ये भी कहा कि निचली अदालतें पुलिस की विवेचना पर आंख मूंद कर भरोसा कर ले रही हैं और याचियो की आपत्तियों को बिना सुने ही खारिज किया जा रहा है। बता दें कि जस्टिस नीरज तिवारी की सिंगल बेंच ने हाथरस से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की है।

बता दें कि मामला हाथरस जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र के लाल वाला पेंच का है। जहां के निवासी मधु शंकर अग्रवाल ने अशोक रावत और संजीव रावत के खिलाफ भयादोहन का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने अशोक और संजीव को भू माफिया का करीबी बताकर उन पर 200 करोड़ रुपए की जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता का कहना था कि दोनों भू माफिया उनके घर में घुसकर धमकी दी हैं कि उनके दोनों लड़कों का अपहरण करवा देंगे और फर्जी मुकदमे लिखवा देंगे। इस मामले पर विवेचना के बाद कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भयादोहन और घर में घुसकर धमकी जैसी धाराओं में सीजेएम कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था।
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वहीं, याची ने दोष मुक्त होने संबंधी उन्मोचन प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसे सीजेएम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही विचारण के लिए आरोप भी निर्मित कर दिए। इसे याची संजीव रावत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत ने याचिका को आंशिक तौर पर स्वीकार किया था। इसी मामले को लेकर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP की निचली अदालतों पर टिप्पणी की है।