देश में कहीं भी कराएं इलाज, मरीज को इलाज संबंधी कागजात नहीं ले जाने होंगे अस्पताल

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 10 Mar, 2023 05:25 PM

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अब इलाज संबंधी दस्तावेज रोगियों को अस्पताल लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। देश के अस्पतालों में प्रत्येक रोगी के इलाज का ब्यौरा उपलब्ध होगा। एक क्लिक में रोगी द्वारा पूर्व में कराई गई जांच व उपचार की पूरी जान...

लखनऊ (अश्वनी कुमार): अब इलाज संबंधी दस्तावेज रोगियों को अस्पताल लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। देश के अस्पतालों में प्रत्येक रोगी के इलाज का ब्यौरा उपलब्ध होगा। एक क्लिक में रोगी द्वारा पूर्व में कराई गई जांच व उपचार की पूरी जानकारी कम्प्यूटर स्क्रीन पर होगी। यह संभव होगा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) योजना से। योजना के तहत अस्पताल व डॉक्टर का भी डाटाबेस तैयार किया जाएगा। यूपी में योजना को और रफ्तार दी जाएगी। शुक्रवार को यह फैसला कैबिनेट बैठक में लिया गया। 
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उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि भारत सरकार की एबीडीएम योजना को प्रभावी तरीके से लागू की जाएगी। योजना के माध्यम से भारत के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य अभिलेखों का डाटाबेस तैयार किया जायेगा। इसमें व्यक्ति की बीमारी डॉक्टर की सलाह, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी समेत दूसरी जांच रिपोर्ट संरक्षित की जाएंगी। नतीजतन मरीजों को मेडिकल रिकार्ड भौतिक रूप से संरक्षित करने की जरूरत नहीं होगी। एबीडीएम में देश के प्रत्येक नागरिक को एक यूनिक हेल्थ आईडी मिलेगी। यह आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउन्ट (एमबीएचए) पर बनेगा। मरीज का डाटा इलेक्ट्रानिक हेल्थ रिकार्ड के रूप में सुरक्षित किया जायेगा। जो भारत हेल्थ एकाउन्ट से लिंक्ड होगा। यह डाटा पूरी तरह से सुरक्षित होगा।
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OBC का पर्चा बनवाने में लाइन होगी कम
ओपीडी पर्चा बनवाने के लिए भी मरीज को अस्पताल में लंबी लाइन भी नहीं लगानी होगी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि मेडिकल कालेज, संस्थान, सरकारी व निजी मेडिकल संस्थानों को जोड़ा जाएगा। राज्य मिशन निदेशक, एबीडीएम नोडल अधिकारी होंगे। योजना का संचालन के लिए राज्य एबीडीएम इकाई की स्थापना की जाएगी।
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महामारी में योजना बनेगी वरदान
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना जैसी खतरनाक महामारियों में लोगों के इलेक्ट्रानिक हेल्थ रिकार्ड (ईएचआर) का उपयोग वरदान साबित होगा। बीमारियों का ब्यौरा होने से उन्हें अलर्ट किया जा सकेगा। खास तरह के एहतियात बरतें जा सकेंगे। उपचार मुहैया कराने में भी मदद मिलेगी। इससे महामारी से मुकाबला आसान होगा।

शोध को भी मिलेगी रफ्तार
मरीजों का डाटाबेस तैयार होने से इलाके व जिलेवार बीमारी व मरीजों की संख्या की जानकारी जुटाई जा सकेगी। जो शोध के काम आएगा। स्वास्थ्य आईडी निःशुल्क व स्वैच्छिक होगी। यह आईडी स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण करने में मदद करेगी। इससे चिकित्सालयों में दवा, उपकरण की उपलब्धता का ब्यौरा भी तैयार होगा।

अस्पताल व डॉक्टर का भी डाटाबेस
योजना के तहत देश के चिकित्सालयों एवं डॉक्टरों का एक भी डाटाबेस तैयार किया जायेगा। राष्ट्रीय पहचान संख्या (एनआईएन) प्रदान किया जायेगा। इससे देश का मरीज किसी भी संस्थान व डॉक्टर से सलाह हासिल कर सकेगा। देश के सभी सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों के विषय में सम्पूर्ण जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी। जिसे कोई भी व्यक्ति देख सकेगा। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने एबीडीएम के तहत पब्लिक डैश बोर्ड लॉन्च किया है। इससे योजना से संबंधित रियल टाइम इन्फॉर्मेशन प्राप्त की जा सकती है।

ये होंगी सुविधाएं
-एबीडीएम से रोगी को बेहतर, किफायती व सुरक्षित यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज हासिल करने में मदद मिलेगी 
-हॉस्पिटल इन्फार्मेशन मैनेजमेन्ट सिस्टम को और बेहतर तरीके से संचालित किया जाएगा 
-प्रत्येक नागरिक का सम्पूर्ण हेल्थ डाटा इलेक्ट्रानिक हेल्थ रिकार्ड में होगा। प्रत्येक मरीज की चिकित्सा से संबंधित सभी सूचनायें ऑनलाइन हो सकेंगी
-रोगी का हेल्थ आईडी के साथ जुड़ा रिकार्ड सुरक्षित रहेगा। जिस डॉक्टर व सलाहकार के साथ साझा करेंगे, वही इसे देख पायेगा
-चिकित्सक, अस्पताल, चिकित्सीय संस्थान एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए सुविधायें प्रदान करने में आसानी होगी। 
-भुगतान प्रणाली में आसान होगी
-यह टेलीमेडिसिन जैसी तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा।

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