Edited By Pooja Gill,Updated: 07 Jun, 2025 03:02 PM

जौनपुर: उत्तर प्रदेश में जौनपुर में ईद उल अजहा का पर्व परंपरा अनुसार हर्षोल्लास के वातावरण में बनाया गया। शाही ईदगाह में हजरत मौलाना अब्दुल जाहिद खुसैमा ने नमाज अदा काराई, वहीं शिया जमात के लोगों को शिया धर्मगुरु मौलाना महमुदुल...
जौनपुर: उत्तर प्रदेश में जौनपुर में ईद उल अजहा का पर्व परंपरा अनुसार हर्षोल्लास के वातावरण में बनाया गया। शाही ईदगाह में हजरत मौलाना अब्दुल जाहिद खुसैमा ने नमाज अदा काराई, वहीं शिया जमात के लोगों को शिया धर्मगुरु मौलाना महमुदुल हसन ने सदर इमामबाड़ा बेगमगंज में बकरीद की नमाज अदा कराई और मुल्क की सलामती के लिए दुआ मांगी। आज शनिवार की सुबह से ही हजारों आस्थावान नमाजियों का जत्था मछलीशहर पड़ाव स्थित शाही ईदगाह की तरफ रवाना होने लगा लोगों की आवा जाही देखकर, हर कोई खुश नजर आ रहा था खुशी का त्योहार ईद उल अजहा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
'खुदा की तरफ से अता की गई चीज को खुद की न समझा जाए'
इस मौके पर ठीक 8:00 बजे शाही ईदगाह में ईद की नमाज हजरत मौलाना अब्दुल जाहिद खुसैमा ने अदा काराई। इस मौके पर उन्होंने अपने खुतबे में कहा कि अगर दुनिया में अमन कायम करना है तो हर इंसान दूसरे इंसान के साथ वैसा ही सुलूक करें जैसा वह अपने लिए पसंद करता हो। उन्होंने बताया कि हजरत इब्राहिम अलैसलाम सलाम की सुन्नत के मुताबिक यह त्यौहार पिछले 5000 वर्षों से मनाया जा रहा है ,जिसको इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की उम्मत पर भी वाजिब करार दिया गया।उन्होंने कहा कि कोई भी चीज जो खुदा की तरफ से अता की गई हो वह खुद की न समझा जाए उसको खुदा की राह में खर्च कर देना ही सबसे बड़ी कुर्बानी है।
'औलाद को कुर्बान करने के लिए छुरी चलाई...'
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान देकर पुत्र की जगह एक दूंबा (भेड़) फरिस्तो(देवदूत) के द्वारा रखवा दिया गया, जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। खुदा सबसे अजीज चीज अपने पैगंबर हजरत इब्राहिम से कुर्बान करवाना चाहता था, उन्होंने बहुत सारी चीजों को कुर्बान किया, लेकिन बार-बार उनको सपने के द्वारा सबसे अजीब चीज कुर्बान करने की बात कही गई। आखिर में जब उन्होंने अपनी औलाद को कुर्बान करने के लिए छुरी चलाई तो खुदा को उनकी यह कुर्बानी बहुत पसंद आई क्योंकि उनको औलाद बुढ़ापे में खुदा की तरफ से अता की गई थी जो उनको बहुत अज़ीज़ थी।