हिंदुओं को बांटने की कोशिश हो रही है लेकिन हम पानी की धारें हैं... हम काटे से कटते नहीं हैं... हम बांटे से बंटते नहीं हैं: मनोज मुंतशिर

Edited By Mamta Yadav,Updated: 11 Feb, 2023 09:57 PM

अमेठी के लाल और मशहूर गीतकार लेखक मनोज मुंतशिर ने शुक्रवार रात वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 'काशी शब्दोत्सव' में हिस्सा लिया...इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उन्हें सुनने पहुंचे...कार्यक्रम के बाग मीडिया के एक सवाल के जवाब में उन्होंने लखनऊ...

Varanasi: अमेठी के लाल और मशहूर गीतकार लेखक मनोज मुंतशिर ने शुक्रवार रात वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 'काशी शब्दोत्सव' में हिस्सा लिया...इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उन्हें सुनने पहुंचे...कार्यक्रम के बाग मीडिया के एक सवाल के जवाब में उन्होंने लखनऊ का नाम बदलने का समर्थन किया...मनोज ने कहा कि अगर शास्त्रों में लिखित हमारे शहरों का नाम इतिहास में बदला गया...तो अब भी बदले जाएं.. लखनऊ और गाजीपुर के भी नाम बिल्कुल बदलने चाहिए...

मनोज ने आगे कहा कि बाबा तुलसीदास दलित, स्त्री विरोधी नहीं थे। कुछ लोग हिंदू धर्म को 50 अलग-अलग खंडों में तोड़ना चाहते हैं... ऐसी बातें आपके सामने होती रहेंगी...यही तो सनातन परंपरा की परीक्षा है...आप बंटना मत... हम पानी की धारें हैं... हम काटे से कटते नहीं हैं... हम बांटे से बंटते नहीं हैं.. स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस को लेकर दिए गए बयान पर मनोज मुंतशिर ने कहा कि आप लोग उनका मार्कशीट देख लीजिए...कितना पढ़े-लिखे हैं वो, मुझे बड़ा संदेह है... बस इतना ही कहूंगा। इसमें राजनीति हो रही है..

मनोज मुंतशिर ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की... समिट पर बोला- योगी के कार्यकाल में GDP 11 हजार करोड़ से बढ़कर 23 हजार करोड़ हो गई है... दोगुना से भी ज्यादा है... दुनिया के इन्वेस्टर यूपी में सुरक्षित महसूस करते हैं... मनोज मुंतशिर ने कश्मीर पर कहा कि कुछ बरस पहले चैलेंज दिया गया था कि किसी में हिम्मत है तो कश्मीर के लाल चौक पर झंडे फहराकर दिखाए... तब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री भी नहीं थे, फिर भी वो गए थे..

वाराणसी के शब्दोत्सव कार्यक्रम में मनोज मुंतशिर ने करीब 45 मिनट तक संबोधित किया.. इस दौरान उन्होंने चित परिचित अंदाज में राष्ट्रवाद की चर्चा की...मनोज ने कहा कि 11वीं सदी से पहले भारत में औरत शब्द का प्रचलन नहीं था... यह अरब से भारत में आया...भारत में नारी या स्त्री शब्द का इस्तेमाल किया जाता था..रुद्राक्ष कन्वेंशन में मनोज ने संकल्प दिलाया कि किसी को औरत नहीं कहेंगे...

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