सपा से मोहभंग? आजम खान के बसपा में जाने की अटकलें तेज, यूपी की मुस्लिम सियासत में हलचल

Edited By Ramkesh,Updated: 10 Jul, 2025 01:05 PM

disillusionment with sp speculations of azam khan joining bsp intensify

उत्तर प्रदेश की सियासत में जब भी मुस्लिम नेतृत्व की चर्चा होती है, तो आज़म ख़ान का नाम सबसे पहले लिया जाता है। दशकों तक समाजवादी पार्टी (सपा) का मजबूत मुस्लिम चेहरा रहे रामपुर के इस वरिष्ठ नेता को लेकर अब राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

लखनऊ (अश्वनी कुमार सिंह): उत्तर प्रदेश की सियासत में जब भी मुस्लिम नेतृत्व की चर्चा होती है, तो आज़म ख़ान का नाम सबसे पहले लिया जाता है। दशकों तक समाजवादी पार्टी (सपा) का मजबूत मुस्लिम चेहरा रहे रामपुर के इस वरिष्ठ नेता को लेकर अब राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बीते कुछ समय से सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि आज़म ख़ान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो सकते हैं।

राजनीतिक दूरी और पार्टी से उपेक्षा
आज़म ख़ान ने लंबे समय तक समाजवादी पार्टी की विचारधारा को ज़मीन पर जिया, लेकिन जेल जाने के बाद से पार्टी नेतृत्व की चुप्पी और व्यवहार ने उन्हें आहत किया।
अखिलेश यादव की ओर से न तो कोई ठोस समर्थन मिला, न ही सार्वजनिक तौर पर कोई पक्ष। रामपुर उपचुनाव में उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म की हार और कानूनी मुश्किलों में पार्टी की निष्क्रियता ने आज़म को खुद को "पार्टी में पराया" महसूस करवाया है।

बसपा में संभावित एंट्री: सिर्फ दल-बदल नहीं, नई सियासी पटकथा
अगर आज़म ख़ान बसपा का दामन थामते हैं, तो यह न केवल एक बड़ा राजनीतिक कदम होगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की मुस्लिम राजनीति में समीकरणों को नए सिरे से लिखने का काम करेगा। मायावती के नेतृत्व में बसपा लंबे समय से दलित-मुस्लिम गठजोड़ की राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती रही है, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। आज़म ख़ान जैसे अनुभवी मुस्लिम नेता का साथ मिलने से बसपा को पश्चिम यूपी से लेकर तराई क्षेत्र तक मजबूती मिल सकती है।

सियासी चुप्पी: संकेत या संकोच?
गौर करने वाली बात यह है कि आज़म ख़ान ने अब तक बसपा को लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। लेकिन राजनीति में अक्सर चुप्पी भी रणनीति होती है। उनकी चुप्पी को जानकार "राजनीतिक आत्मचिंतन और भविष्य की दिशा तय करने की तैयारी" मान रहे हैं।

सपा को लग सकता है बड़ा झटका
सवाल उठ रहा है कि क्या सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस संभावित सियासी बदलाव का अंदेशा है? आज़म ख़ान की पार्टी से दूरी, पुराने सहयोगियों की नाराज़गी, सब मिलकर सपा के पारंपरिक गठजोड़ को कमजोर कर सकते हैं। विशेषकर मुस्लिम मतदाताओं में आज़म की गहरी पकड़ को देखते हुए, उनका अलग रास्ता अखिलेश के लिए चुनावी नुकसान का कारण बन सकता है। फिलहाल अभी तक न तो इसे लेकर सपा की तरफ से कोई बयान आया है न ही बसपा की तरफ से कोई अधिकारिक पुष्टि हुई है। हालांकि आजम को लेकर अब यूपी में सियासत गर्म है।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!