MP-MLA कोर्ट से अब्बास अंसारी को मिली सजा पर फैसला सुरक्षित, बहाल होगी अब्बास की विधायकी या फिर....

Edited By Ramkesh,Updated: 30 Jul, 2025 06:28 PM

decision reserved on the punishment given to abbas ansari by

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को अब्बास अंसारी की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने 2022 के घृणास्पद भाषण मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने संबंधी मऊ की एमपी-एमएलए अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को अब्बास अंसारी की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने 2022 के घृणास्पद भाषण मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने संबंधी मऊ की एमपी-एमएलए अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी को 31 मई, 2025 को मऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए कोर्ट) ने दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद इस वर्ष जून में अब्बास अंसारी को मऊ सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया था।

जनसभा के दौरान मऊ प्रशासन को दी थी धमकी
अंसारी द्वारा उक्त फैसले के खिलाफ दायर अपील मऊ के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एमपी-एमएलए अदालत) के न्यायालय में लंबित है। अपील के साथ ही अंसारी ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए एक प्रार्थना पत्र भी दाखिल किया था, जिसे न्यायालय ने 5 जुलाई, 2025 को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने दोषसिद्धि पर रोक से इनकार करने वाले आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, गत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के उम्मीदवार के रूप में मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ रहे अब्बास अंसारी ने 3 मार्च, 2022 को पहाड़पुर मैदान में एक जनसभा के दौरान मऊ प्रशासन को धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद वह “हिसाब चुकता करेंगे और सबक सिखाएंगे।

कर्मचारी को धमकी देने के आरोपी में दो साल की मिली है सजा 
विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने अंसारी को धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता फैलाने) और 189 (एक सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाने की धमकी देना) के तहत दोषी करार देते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी। उन पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। अदालत ने अंसारी के चुनाव एजेंट रहे मंसूर अंसारी जोकि भाषण के दौरान मंच पर मौजूद थे, को भी इस मामले में दोषी ठहराते हुए छह महीने जेल की सजा सुनाई थी। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत, यदि किसी जनप्रतिनिधि को अदालत दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाती है, तो उसकी विधायिका की सदस्यता रद्द करने का प्रावधान है।

मऊ सदर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे विधायक 
हालांकि, अपील लंबित रहने के दौरान यदि दोषसिद्धि पर रोक लगा दी जाती है, तो अयोग्यता प्रभावी नहीं होती। अब्बास अंसारी पहली बार 2022 में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन में एसबीएसपी के टिकट पर मऊ सदर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। एसबीएसपी वर्तमान में भाजपा नीत सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में सहयोगी है और पार्टी अध्यक्ष राज्य में एक कैबिनेट मंत्री हैं। इससे पहले अब्बास अंसारी के पिता मुख्तार अंसारी लंबे समय तक मऊ सदर सीट से विधायक रहे। बांदा जिला जेल में कैद मुख्तार अंसारी का मार्च 2024 में उत्तर प्रदेश के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

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