Sawan 2023: आज सावन का आखिरी सोमवार, शिव मंदिरों में सुबह से उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

Edited By Anil Kapoor,Updated: 28 Aug, 2023 12:47 PM

crowds of devotees gathered in pagodas on the last monday of sawan

Banda News: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में सावन के आखिरी सोमवार को शहर के बोमेश्वर मंदिर सहित बबेरू के मढ़ीदाई मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर पूजा अर्चना....

(जफर अहमद) Banda News: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में सावन के आखिरी सोमवार को शहर के बोमेश्वर मंदिर सहित बबेरू के मढ़ीदाई मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर पूजा अर्चना किया। शहर सहित गावों में स्थित अन्य शिवालयों में भी सुबह 4 बजे से ओम नमः शिवाए के जयकारे गूंजते रहे हैं।

PunjabKesari

मिली जानकारी के मुताबिक, बांदा जनपद के कैलाशपुरी स्थित बोम्बेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे से ही पूजा अर्चन करने वालों की भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई। भगवान को जलाभिषेक करने के लिए सुबह से भक्तों को इंतजार करना पड़ा। लोगों ने अपनी बारी आते ही गुफा के अंदर बैठे शिवलिंग पर जलाभिषेक किया और फल फूल चढ़ाए। इसके बाद लोगों ने अपनी मनोकनाएं मांगी। पहाड़ के ऊपर जाकर सिद्धबाबा के दर्शन कर अच्छा मौसम का लुफ्त उठाया। इसके अलावा शहर में बाकी मंदिरों में भी भक्तों का आना जाना लगा रहा। मंदिर हर हर महादेव के जयकारे से गूंजते रहे। उधर कालिंजर और बबेरू के मढ़ीदाई  मंदिर में भी भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए लोग दूर दूर से यहां पहुंचे। खप्तिहकला के महाकालेश्वर मंदिर में भी लोगों ने पूजन अर्चना कर भगवान शिव को धन्यवाद दिया।

PunjabKesari

रामायण काल में भी उल्लेख
सावन मास में शिवभक्ति का खास महत्व है। इस माह में जो भी भगवान शिव की अराधना करते हैं उन्हें हजार गुना फल अधिक मिलता है। महर्षि बामदेव की नगरी में विराजमान श्रीबामदेवेश्वर बहुत ही प्राचीन स्थान हैं। इसका उल्लेख रामायण काल में भी बताया जा रहा है। पर्वत चोटी पर गुफा के अंदर विराजमान शिवलिंग की पूजा-अर्चना के लिए यूं तो प्रतिदिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन मास में श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ जाती है।

PunjabKesari

प्रतिवर्ष एक जौ गुफा ऊंची होती है
मंदिर के पुजारी महाराज पुत्तन तिवारी बताते हैं कि महर्षि बामदेव का तपस्या स्थल बांबेश्वर पर्वत था। महर्षि की तपस्या से गुफा के अंदर शिवलिंग स्थापित हुए, यह शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों से भी प्राचीन है। पहले यह गुफा इतनी नीची थी कि लोगों को लेटकर दर्शन के लिए जाना पड़ता था। लेकिन धीरे-धीरे कर गुफा ऊंची होती चली गई और अब लोग दर्शन के लिए खड़े होकर प्रवेश कर जाते हैं। पुजारी जी कहते हैं कि प्रतिवर्ष एक जौ गुफा की ऊंची होने की किवदंती है।

PunjabKesari

ऋषि बामदेव से मिली बांदा को पहचान
ऋषि बाम देव गौतम ऋषि के पुत्र थे, इसलिए उन्हें गौतम भी कहते हैं। वेदों के अनुसार सप्तऋषियों में ऋषि बामदेव का नाम भी आता है और उन्होंने संगीत की रचना की थी। रामायण काल में इस बामदेवेश्वर पर्वत पर वह निवास करते थे। इसी पर्वत पर स्थित भगवान शिव का मंदिर उन्होंने स्थापित किया था और बांदा नाम भी उन्हीं के नाम पर पड़ा है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक,भगवान राम ने यहां आकर शिव की आराधना की थी।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!