Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 23 Aug, 2020 09:05 AM
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक की शाखाओं का निर्वाचन स्थगित किए जाने की मांग करते हुये आरोप लगाया कि कुछ भ्रष्ट
लखनऊ: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक की शाखाओं का निर्वाचन स्थगित किए जाने की मांग करते हुये आरोप लगाया कि कुछ भ्रष्ट, असक्षम एवं नकारा अधिकारियों द्वारा सरकार में बैठे कुछ लोगों के इशारे पर सहकारिता की मूल भावना का गला घोंटा जा रहा है ।
यादव ने कहा कि पहले तो प्रदेश सरकार द्वारा सहकारी समिति (संशोधन) अध्यादेश को जल्दबाजी में लागू किया गया। प्रबंध समितियों से अधिकारों को लेने से उसका लोकतांत्रिक ढांचा बिखर चुका है और अब कोरोना संकट में जब जल्दबाजी में चुनाव कराकर निर्वाचन आयोग(सहकारिता), चुनाव प्रक्रिया में लगे सरकारी कर्मचारी, डेलीगेट और प्रत्याशी को संक्रमण के जोखिम में ढकेलने जा रहा है। जब सहकारी प्रबंध समितियों से अधिकार पहले ही लिए जा चुके हैं तो इतना जोखिम उठाने से अच्छा है कि सरकार सहकारी प्रबंध कमेटी की जगह सरकारी करण कर दे।
उन्होने कहा कि गांधीजी ने भारतीय समाज और गांवों का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने गांवों का विकास सहकारिता से करने की पैरवी की थी। अब किसान नौकरशाही के जाल में फंस कर रह गया है, ऐसे में जिस पवित्र भावना से सहकारिता आन्दोलन का जन्म हुआ था, वह संकट में है।प्रसपा प्रमुख ने कहा कि देश ने हाल में ही राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती मनाई है। ऐसे में राष्ट्रपिता की दुहाई देने वाली सरकार द्वारा सहकारिता के मूल भावना की हत्या दु:खद है। सहकारी आन्दोलन का जन्म हाशिए पर पड़े गरीब किसानों को सूदखोर महाजनों से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। सहकारी समितियों की आतंरिक संरचना इसकी शुरुआत से ही लोकतांत्रिक रही है।