Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 06 Dec, 2020 09:19 AM
उत्तर प्रदेश विधान परिषद (एमएलसी) स्नातक खंड इलाहाबाद-झांसी चुनाव में जहां एक ओर समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का किला ढहा कर अपनी बादशाहत का
झांसी: उत्तर प्रदेश विधान परिषद (एमएलसी) स्नातक खंड इलाहाबाद-झांसी चुनाव में जहां एक ओर समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का किला ढहा कर अपनी बादशाहत का बिगुल बजाया तो दूसरी ओर कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये, इतना ही नहीं सात उम्मीदवार ऐसे भी रहे जिनको हजार मत भी नहीं मिले।
बता दें कि इस इलाहाबाद-झांसी स्नातक खंड में कुल 16 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। चुनाव के दौरान एक ऐसे उम्मीदवार भी रहे जिन्होंने 100 मतों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया। डा. विनीत कुमार को महज 93 मतों पर संतोष करना पड़ा। जबकि 7 ऐसे उम्मीदवार रहे जिन्होंने हजार का भी आंकड़ा नहीं छू पाया। इनमें चन्द्रलोक सिंह पटेल 414, पंकज मानू विश्वकर्मा 715, रघुनाथ द्विवेदी 289, रमेश चन्द्र दुबे 470, और विनोद कुमार पाण्डेय हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाए वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अजय कुमार सिंह को महज 2454 मत प्राप्त हुए।
कांग्रेस का यह प्रदर्शन प्रदर्शित करता है कि उसकी स्थिति प्रदेश स्तर पर क्या हो गयी है। वहीं निर्दलीय हरिश्चन्द्र पटेल को 8772 और डा.हरप्रकाश सिंह को 5686 मत प्राप्त हुए जो दलों के तिलिस्म को तोड़ते नजर आए। निर्दलीय उम्मीदवारों ने यह सिद्ध कर दिया कि आपका अपना व्यवहार भी बहुत कुछ मायने रखता है। सबसे अधिक शर्मनाक स्थिति तो अवैध मतों की रही। यदि चार उम्मीदवारों को छोड़ दें तो कोई भी उम्मीदवार अवैध मतों की टक्कर भी नहीं दे सका जबकि यह चुनाव शिक्षित शिक्षकों और स्नातक मतदाताओं का था।