Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 23 Aug, 2023 05:01 PM

40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर इतिहास बनाने को तैयार है। ये लंबी यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव पर है, जिस...
Chandrayaan 3: 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर इतिहास बनाने को तैयार है। ये लंबी यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव पर है, जिसकी सबसे अहम प्रक्रिया लैंडिंग की है जो बहुत नाज़ुक और जटिल है। इसमें सबसे अहम अंतिम 17 मिनट होंगे। जिन्हें इसको के वैज्ञानिक 17 मिनट्स ऑफ टेरर यानी 17 मिनट का आतंक बता रहे हैं। अगर सबकुछ उम्मीद के मुताबिक रहा तो आज (बुधवार) जैसे ही शाम के 6 बजकर 4 मिनट बजेंगे, भारत का चंद्रयान चांद की सतह पर लैंड करना शुरू करेगा।
चंद्रयान-3 के चारों ओर सुनहरी परत
इस ऐतिहासिक कामयाबी की उम्मीद लिए आम लोगों की दिलचस्पी भी चंद्रयान-3 और उससे संबंधित ख़बरों में बढ़ती जा रही है। अंतरिक्ष और विज्ञान के तमाम पहलुओं के बीच लोगों के बीच चंद्रयान-3 के चारों ओर लिपटा सुनहरा आवरण भी है। ये आवरण क्यों है, लोग ये सवाल भी पूछ रहे हैं। चंद्रयान-3 के चारों ओर आपको सुनहरी परत दिख रही है, ऐसी परत किसी भी अंतरिक्ष यान या मानव निर्मित उपग्रह या उनके उपकरणों के चारों ओर क्यों लगाई जाती है, इस सवाल का जवाब हमने मुंबई स्थित नेहरू तारामंडल के निदेश अरविंद पराजंपे से जानने की कोशिश की।
गोल्डन फ़ॉइल पेपर न तो सोना है और न ही काग़ज़ का बना
परांजपे कहते हैं कि यान के चारों ओर दिखाई देने वाला गोल्डन फ़ॉइल पेपर जैसा आवरण न तो सोना है और न ही काग़ज़ का बना है। इसे मल्टीलेयर इंसुलेशन या एमएलआई कहा जाता है। दरअसल बहुत ही हल्के वज़न की फिल्म की कई परतें एक के ऊपर एक लगाई जाती हैं। इसमें बाहर की तरफ सुनहरी और अंदर की तरफ सफेद या सिल्वर रंग की फिल्में हैं। वे पॉलिएस्टर से बनी फिल्में हैं। इन फ़िल्मों पर एल्यूमीनियम की बहुत पतली परत की लेप भी लगाई जाती। पॉलिएस्टर की एक फिल्म और उस पर एल्यूमीनियम की एक परत से एक शीट बनती है।