Edited By Mamta Yadav,Updated: 05 Dec, 2023 10:30 PM

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने मंगलवार को राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह को पत्र लिखकर सरकार से अनुदानित मदरसों के शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता तथा वहां उपलब्ध सुविधाओं की जांच...
Lucknow News: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने मंगलवार को राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह को पत्र लिखकर सरकार से अनुदानित मदरसों के शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता तथा वहां उपलब्ध सुविधाओं की जांच को स्थगित करने का आग्रह किया।

जांच स्थगित कर परीक्षा कार्य को वरीयता देने की मांग
जावेद ने पत्र में कहा है कि उनके संज्ञान में आया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा ने राज्य सरकार से अनुदान एवं स्थाई मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच का आदेश दिया जबकि अभी मदरसों में वर्तमान सत्र की परीक्षा की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा है कि ऐसे में उनका अनुरोध है कि फिलहाल जांच स्थगित कर परीक्षा कार्य को वरीयता दी जाए ताकि छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित रह सके। उन्होंने यह भी लिखा कि मदरसों में परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ परीक्षा केंद्रों पर अनुपस्थित छात्र-छात्राओं का परीक्षाफल घोषित करने की कार्यवाही भी चल रही है, ऐसी स्थिति में जांच कराने से इन महत्वपूर्ण कार्यों के प्रभावित होने की प्रबल संभावना है।

मदरसों में वार्षिक परीक्षा भी अन्य शिक्षा परिषदों की तरह समय से करा ली जाएं
अहमद जावेद ने पत्र में कहा, " बोर्ड की मंशा है कि मदरसों में वार्षिक परीक्षा भी अन्य शिक्षा परिषदों की तरह समय से करा ली जाएं। चूंकि जांच से असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है, ऐसे परीक्षा कार्य देर से शुरू होने की स्थिति में समय से परीक्षा कराना संभव नहीं हो पाएगा। खासकर तब, जब अगले ही साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं।" अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा ने एक दिसंबर को सभी विभागीय मंडलीय उपनिदेशकों और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को भेजे गए पत्र में अनुदानित मदरसों के भवनों, आधारभूत सुविधाओं एवं कार्यरत शिक्षकों तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच कराने का आदेश दिया था।
यूपी में 25000 मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता प्राप्त मदरसे
उन्होंने पत्र में कहा था , "मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और उनमें अन्वेषणात्मक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने तथा उन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए मदरसों में आधारभूत सुविधाएं एवं योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना नितांत आवश्यक है। ऐसे में सबसे पहले अनुदानित मदरसों के भवनों, आधारभूत सुविधाओं एवं कार्यरत शिक्षकों तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच करा ली जाए।" पत्र में यह जांच पूरी करके 30 दिसंबर तक मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया। उत्तर प्रदेश में इस वक्त लगभग 25000 मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता प्राप्त मदरसे चल रहे हैं। इनमें से 560 को राज्य सरकार से अनुदान मिलता है।
अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक ने पत्र में यह भी लिखा है कि "प्रदेश के मदरसों में अब भी आधारभूत सुविधाओं का अभाव है और वहां पढ़ रहे बच्चों को वैज्ञानिक एवं आधुनिक शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है, जिस कारण छात्रों को रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।" पत्र में कहा गया है कि यह जांच कई बिंदुओं पर होगी। इनमें मदरसे में कुल स्वीकृत पदों की कक्षा स्तरवार संख्या, शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता, मदरसे में निर्मित भवन का मानक के आधार पर भौतिक सत्यापन, कक्षावार अध्यापकों के सापेक्ष छात्रों का अनुपात और मदरसे में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है या नहीं वगैरह जैसे बिंदु शामिल हैं।