राहत भरी खबर: 'खुले में' नमाज पढ़ने के आरोप में 25 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा हुआ रद्द

Edited By Ramkesh,Updated: 30 Aug, 2022 02:01 PM

case filed against 25 people for offering namaz in the open canceled

मुरादाबादः जिले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव में कथित तौर पर 'खुले में' नमाज पढ़ने के आरोप में 25 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा पुलिस ने निरस्त कर दिया है। मुरादाबाद पुलिस ने ट्विटर पर मंगलवार को यह जानकारी दी....

मुरादाबादः जिले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव में कथित तौर पर 'खुले में' नमाज पढ़ने के आरोप में 25 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा पुलिस ने निरस्त कर दिया है। मुरादाबाद पुलिस ने ट्विटर पर मंगलवार को यह जानकारी दी। मुरादाबाद पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल (खाते) से मंगलवार को ट्वीट किया गया, ''ग्राम दुल्‍लेपुर में वादी चंद्रपाल आदि ने सामूहिक नमाज पढ़ने को लेकर पुलिस स्टेशन छजलैट में मुकदमा पंजीकृत कराया था, विवेचना के उपरांत घटना का प्रमाणित होना नहीं पाया गया।'' इसी ट्वीट में आगे कहा गया है, ''अत: विवेचना को मय जुर्म खारिजा रिपोर्ट समाप्त किया गया। शेष विधिक कार्यवाही तदनुसार संपन्न की जाएगी।''

ग्रामीणों की शिकायत पर 25 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी प्राथमिकी
अपर पुलिस अधीक्षक-ग्रामीण (एसपी- ग्रामीण) संदीप कुमार मीणा ने सोमवार को बताया था कि दुल्‍लेपुर गांव में गत 24 अगस्त को कुछ लोग एक मकान में नमाज अदा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मकान में जगह नहीं होने पर कुछ लोग बाहर खुले में आकर नमाज पढ़ने लगे, जबकि पूर्व में उन्हें ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी गयी थी। मीणा ने बताया कि इस मामले में कुछ ग्रामीणों की शिकायत पर 25 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में अब तक किसी भी शख्स को गिरफ्तार नहीं किया गया है। इस बीच, मामले के एक आरोपी वाहिद सैफी ने दावा किया कि वह उस जमीन का कानूनी मालिक है, जिस पर नमाज अदा की गयी थी। उसने दावा किया कि उक्त स्थान पर आजादी के बाद से अक्सर नमाज पढ़ी जाती थी, लेकिन हाल ही में खुद को बजरंग दल के कार्यकर्ता बताने वाले कुछ ‘उपद्रवी तत्वों' ने इसे नयी परम्परा बताते हुए इसका विरोध किया था और गत तीन जून को छजलैट थाने में शिकायत की थी।

असदुद्दीन ओवैसी ने मामले को लेकर उठाए थे सवाल 
सैफी के मुताबिक इस शिकायत पर पुलिस ने मौके का दौरा किया था और सभी कागजात की जांच के बाद उप जिलाधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होने को कहा था। उन्होंने बताया कि उपजिलाधिकारी को भी सभी कागजात दिखाये गये, जिसपर अधिकारियों ने खुले में नमाज नहीं पढ़ने की हिदायत दी थी। उसके बाद से सभी लोग घर के दायरे में ही रहकर नमाज पढ़ रहे थे। सैफी ने कहा कि गत 24 अगस्‍त को खुले में नमाज पढ़ने के आरोप में गुपचुप तरीके से एक मुकदमा दर्ज करा दिया गया, जिसके बारे में उन्हें मीडिया की खबरों से पता लगा। इस बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मामले की निंदा करते हुए सिलसिलेवार ट्वीट किये। उन्‍होंने ट्वीट में कहा, “भारत में मुसलमान अब घरों में भी नमाज़ नहीं पढ़ सकते? क्या अब नमाज़ पढ़ने के लिए भी हुकूमत पुलिस से इजाजत लेनी होगी?

सांसद, एस.टी. हसन घटना के बाद क्षेत्र का किया था दौरा 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका जवाब देना चाहिए, कब तक मुल्क में मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के शहरी का सलूक किया जाएगा?” उन्‍होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “समाज में कट्टरपंथी सोच इस हद तक फैल गयी है कि अब घरों में नमाज़ पढ़ने से भी लोगों के “जज़्बात” को ठेस पहुंच जाती है।” इधर, मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद, एस.टी. हसन ने कहा कि उन्होंने दुल्‍लेपुर गांव का दौरा किया और पाया कि सभी कानूनी रूप से अपने अधिकारों का लाभ उठा रहे थे और गांव में सांप्रदायिक सद्भाव कायम है। उन्होंने दावा किया कि कुछ बदमाशों ने थाने में शिकायत की थी जो निराधार पायी गयी थी। उन्होंने कहा कि उनकी मौजूदगी में सभी ग्रामीणों की बैठक हुई और सांसद निधि से एक मंदिर और एक मस्जिद का निर्माण करने का फैसला किया गया।

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