राज्‍यसभा की 10 सीटों में 9 सीटे जीतेगी भाजपा, विपक्ष भी एक हो जाय तो दो सीट पर जीत पर जीतना होगा मुश्किल

Edited By Ramkesh,Updated: 13 Oct, 2020 08:24 PM

bjp will win 9 seats in all 10 seats of the state if opposition becomes one

उत्‍तर प्रदेश में नौ नवंबर को राज्‍यसभा की दस सीटों के लिए होने वाला चुनाव प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एकतरफ़ा होता दिख रहा है।

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश में नौ नवंबर को राज्‍यसभा की दस सीटों के लिए होने वाला चुनाव प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एकतरफ़ा होता दिख रहा है। राज्य में पिछले चार दशक से अधिक समय में यह पहला मौका है जब किसी एक दल के पास विधानसभा में 300 से अधिक सदस्य हैं। अपने 48 सदस्यों के साथ मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ही ऐसी स्थिति में है कि अपने एक सदस्य की जीत सुनिश्चित कर सके। आजादी के बाद प्रदेश की विधानसभा के लिये हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के 388 और 1977 में जनता पार्टी के 352 विधायक चुने गये थे।

वर्ष 1977 के बाद किसी भी राजनीतिक दल को इस तरह का अवसर नहीं मिला है। विधानसभा के एक अधिकारी के मुताबिक, ''403 सदस्‍यों वाली राज्‍य की विधानसभा में इस समय कुल 395 सदस्‍य हैं। राज्‍यसभा के एक सदस्‍य के लिए करीब 38 विधायकों का मत पाना जरूरी है। फिलहाल भाजपा के 304, समाजवादी पार्टी के 48, बसपा के 18, अपना दल के नौ, कांग्रेस के सात, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार और निर्दलीय समेत छोटे दलों के पांच विधायक हैं।

गौरतलब है कि राज्य विधानसभा की सात सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं, जिनके नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। राजनीतिक विश्‍लेषक बृजेश शुक्‍ल ने कहा,लंबे समय बाद इस तरह का चुनाव होने जा रहा है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के सदस्‍यों की संख्‍या इतनी सीमित है कि वे एक साथ मिल भी जाएं तो भी सीट हासिल करने की स्थिति में नहीं हैं। उनका मानना है कि पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए, तो भी दो सीटें जीतना आसान नहीं होगा।

हालांकि, उन्होंने कहा कि समूचे विपक्ष के एकजुट होने की संभावना कम ही है, ऐसे में केवल समाजवादी पार्टी ही आसानी से एक सीट जीत सकेगी। शुक्ल के अनुसार, भाजपा आसानी से आठ सीटें और बेहतर प्रबंधन कर ले तो नौ सीटें जीत सकती है। उन्होंने क्रॉस वोटिंग की संभावना से भी इन्‍कार नहीं किया। कांग्रेस के दो विधायक और बसपा के एक विधायक अपने दल के विरोध में पिछले वर्ष से ही मुखर हैं। दो वर्ष पहले हुए राज्‍यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में कई विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी।

उल्‍लेखनीय है कि राज्‍यसभा में उत्‍तर प्रदेश से निर्वाचित समाजवादी पार्टी के चार सदस्‍यों राम गोपाल यादव, चंद्र पाल सिंह यादव, रवि प्रकाश वर्मा और जावेद अली खान, कांग्रेस के एक सदस्‍य पीएल पूनिया, बहुजन समाज पार्टी के दो सदस्‍यों वीर सिंह और राजाराम तथा भारतीय जनता पार्टी के तीन सदस्‍यों हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह और नीरज शेखर का कार्यकाल 25 नवंबर को पूरा हो रहा है। रिक्‍त होने वाली इन सीटों के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया।

भारतीय जनता पार्टी का अपना दल से गठबंधन है। बाकी दलों के बीच राज्‍यसभा चुनाव को लेकर अभी किसी तरह का समझौता नहीं हुआ है। उत्‍तर प्रदेश की राजनीतिक-सामाजिक गतिविधियों पर नजर रखने वाले राजीव रंजन सिंह ने कहा, ''राजनीतिक समीकरण तात्‍कालिक आवश्‍यकताओं के अनुरूप बनते हैं। निश्चित तौर पर विपक्षी दल अपने लिए संभावनाओं की तलाश करेंगे लेकिन भाजपा के लिए रास्‍ता साफ है। इस चुनाव में सर्वाधिक नुकसान समाजवादी पार्टी का होगा।'' राज्‍यसभा में उत्‍तर प्रदेश का 31 सीटों का कोटा है, जिसमें से इस समय भाजपा के पास 17, सपा के पास आठ, बसपा के पास चार और कांग्रेस के पास दो सीटें हैं। 

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