Edited By Ajay kumar,Updated: 12 Dec, 2022 08:10 PM

मिशन 2024 के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अपने 'स्वाभाविक मित्र' अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को भी स्थानीय निकाय चुनाव में साथ ले सकती है। इस बात के संकेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने भी रविवार को दिए हैंउन्होंने कहा कि सहयोगियों से...
लखनऊः मिशन 2024 के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अपने 'स्वाभाविक मित्र' अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को भी स्थानीय निकाय चुनाव में साथ ले सकती है। इस बात के संकेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने भी रविवार को दिए हैंउन्होंने कहा कि सहयोगियों से बात करेंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार 17 नगर निगम में तो नहीं, लेकिन कुछ नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर उनके प्रत्याशियों को लड़ा सकती है। भाजपा उन्हें उन्हीं क्षेत्रों से ही लड़ाएगी जहां सहयोगी दलों का बोलबाला होगा।सूत्रों के अनुसार हालांकि, अभी का तक भाजपा ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव तो सहयोगी दलों के साथ मिलकर लड़ा है, लेकिन निकाय चुनाव अकेला ही लड़ा है।लेकिन राजनीति की इन बदली हुई परिस्थितियों में अब अपना दल (एस) और निषाद पार्टी उसके स्वाभाविक मित्र बन गए हैं। अपना दल (एस) तो लोकसभा में निषाद पार्टी विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ कंधा से कंधा से मिलाकर खड़ी रही। ऐसे में दोनों ही दल भाजपा के विश्वासपात्र बन गए हैं। भाजपा के ये सहयोगी दल बड़े काम के हैं। भाजपा को इनका सहयोग 2024 के लोकसभा चुनाव में भी लेना है। निकाय चुनाव में भाजपा को पूर्वांचल में अपना दल (एस) के नेता अनुप्रिया पटेल और आशीष पटेल और निषाद पार्टी के डा. संजय निषाद और उनके सांसद पुत्र प्रवीण निषाद से चुनाव प्रचार कराने की जरूरत। महसूस होगी। ऐसे में स्वाभाविक रूप से भाजपा इन्हें निकाय की कुछ सीटें तो देगी ही।
जहां कमजोर है, वहां लड़ेंगे सहयोगी दल
भाजपा सहयोगी दलों को ऐसी कुछ सीट दे सकती है, जहां वह कमजोर है। इनमें मुस्लिम बाहुल्य सीटें भी शामिल है। सहयोगी दलों के जरिए मुस्लिम प्रत्याशी को मौका दिलाकर समीकरण साधने की रणनीति भी अपनाई जा सकती है। वहीं कुछ सीटों पर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को सहयोगी दलों के टिकट पर भी चुनाव लड़ाने का विकल्प अपना सकती है।