Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Jan, 2022 12:13 PM

देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस पर IIT कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक और पद्मश्री प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल राहत भरी खबर दी है। IIT कानपुर के वैज्ञानिक ने दावा किया है कि कोरोना...
कानपुर: देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस पर IIT कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक और पद्मश्री प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल राहत भरी खबर दी है। IIT कानपुर के वैज्ञानिक ने दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर दूसरी की तरह घातक नहीं होगी और ये अप्रैल तक ख़त्म हो जाएगी। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि चुनावी रैलियों में बड़ी संख्या में लोग गाइडलाइन का पालन किए बगैर पहुंचते हैं, ऐसे में संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। ऐसे में एहतियात बरतने की जरूरत है।
उनका दावा है कि अप्रैल 2022 तक कोरोना की तीसरी लहर खत्म हो जाएगी। हालांकि, उन्होंने चुनावी रैलियों को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि रैलियों में लाखों की भीड़ शामिल होती है और ये संक्रमण को तेजी से फैलाने में मदद करती है। इन रैलियों में अक्सर कोविड गाइडलाइंस का पालन नहीं होता। इसी के साथ उन्होंने कोरोना के मामलों में गिनती के लिए अपना गणितीय मॉडल भी तैयार किया है।
प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि चुनावी रैलियों में बड़ी संख्या में लोग कोविड गाइडलाइंस का पालन किए गए बगैर पहुंचते हैं, जिससे कि संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी तारीखों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन अगर ऐसे ही रैलियां होती रहीं तो संक्रमण की रफ्तार काफी हद तक बढ़ सकती है।
उन्होंने ने गणितीय मॉडल से कोविड ग्राफ समझाया है। इस मॉडल के मुताबिक भारत में जनवरी में कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत हो रही है। मार्च में 1.8 लाख केस आ सकते हैं, लेकिन कोविड की तीसरी लहर दूसरी लहर की तरह घातक नहीं होगी। इसलिए उनके मॉडल के अनुसार हर 10 में से एक को ही अस्पताल की जरूरत पड़ेगी, मार्च के मध्य में दो लाख बेड की जरूरत होगी।