Edited By Mamta Yadav,Updated: 11 Oct, 2022 09:27 PM
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बाढ़ का कहर थम नहीं रहा है। जिले में बीती रात हुयी बारिश के कारण घाघरा नदी का जलस्तर फिर तेजी से बढ़ने लगा है, जिसके चलते नदी मंगलवार को खतरे के निशान से 87 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई।
बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बाढ़ का कहर थम नहीं रहा है। जिले में बीती रात हुयी बारिश के कारण घाघरा नदी का जलस्तर फिर तेजी से बढ़ने लगा है, जिसके चलते नदी मंगलवार को खतरे के निशान से 87 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई।
सैंकड़ों बीघा कृषि भूमि कटान की भेंट चढ़ गई
जिला प्रशासन के अनुसार नदी के उफान से महसी, कैसरगंज, नानपारा व मिहींपुरवा (मोतीपुर) तहसील क्षेत्र के सैंकड़ो गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है। इस क्षेत्र में बाढ़ के साथ नदी कटान भी कर रही है। जिसके चलते सैंकड़ों बीघा कृषि भूमि कटान की भेंट चढ़ गई है। मंगलवार को अचानक बौंडी थाना परिसर में पानी भर गया। पूरे आवास और ऑफिस के रूम को बाढ़ के पानी ने चपेट में ले लिया है। बाढ़ को देखते हुए पुलिसकर्मी ट्रैक्टर से बाँध पर जा रहे हैं। फखरपुर कस्बे के निकट कई गांवों में पानी भरा है।
घरों में 3 से 4 फीट घुसा बाढ़ का पानी
केंद्रीय जल आयोग संस्थान घाघरा घाट व बाढ़ खंड के सहायक अभियंता बी.वी. पाल ने बताया कि 1 से 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घाघरा नदी के एल्गिन ब्रिज पर जलस्तर बढ़ रहा हैं। सरयू में भी उफान की स्थिति बन गई है, जिससे लोगों के घरों में तीन से चार फीट बाढ़ का पानी भरा हुआ है। लोगों को छत, छप्पर और मचानों के अलावा पेड़ों पर शरण लेनी पड़ रही है। नेपाल के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य के दावे किए जा रहे, जो नाकाफी साबित हो रहे हैं। उपजिलाधिकारी महसी रामदास ने बताया कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को 7000 से अधिक लंच पैकट का वितरण किया गया है। लंच पैकेट का वितरण निरंतर किया जा रहा है।
मवेशियों के लिए चारा मिलना मुश्किल
उधर, श्रावस्ती के करीब 2 दर्जन से अधिक गांव जलमग्न हो गए है। इससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जमुनहा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम सभा धूमबुझी दुर्गा के मजरा भगवानपुर के निवासी अशर्फीलाल अपनी पत्नी के साथ खेत की रखवाली कर रहे थे। अचानक बाढ़ आ जाने से वहीं पानी में फंस गए थे। बाढ़ के कहर से बचने के लिए दोनों पति-पत्नी पेड़ पर चढ़कर बैठ गए थे। इसके 05 दिन बाद पीएसी के जवानों ने पेड़ पर बैठे पति पत्नी को सुरक्षित उतारा। इस इलाके में राप्ती नदी के तांडव से लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। मवेशियों के लिए चारा मिलना मुश्किल है। लोगों के घरों में खाने के लिए रखा गेहूं चावल सब बाढ़ की चपेट में आ गया है। किसी तरह गांव से निकलकर लोग अब सड़कों पर अपना आशियाना बना कर रात गुजारने को मजबूर हैं।
श्रावस्ती प्रशासन लगातार राहत एवं बचाव अभियान चलाकर बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर भेज रहा है। श्रावस्ती की जिलाधिकारी नेहा प्रकाश बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लोगों का हाल-चाल जान रही हैं।