सिख विरोधी दंगे के मामले में 38 साल बाद फिर गिरफ्तारियां शुरू, 4 आरोपी गिरफ्तार

Edited By Imran,Updated: 16 Jun, 2022 03:07 PM

arrests started again after 38 years in the case of anti sikh riots

वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान सिखों की सामूहिक हत्या की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने यहां चार कथित आरोपियों को गिरफ्तार किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

कानपुर: वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान सिखों की सामूहिक हत्या की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने यहां चार कथित आरोपियों को गिरफ्तार किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पुलिस उपमहानिरक्षक बालेंदु भूषण सिंह की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने बुधवार को गिरफ्तारियां कीं और सभी गिरफ्तार लोगों को कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जेल भेज दिया गया। 

बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि एसआईटी पिछले तीन साल से सिख विरोधी दंगों के मामलों की जांच कर रही है और इस मामले के अन्य संदिग्धों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि एसआईटी ने मुख्य संदिग्धों के रूप में 96 लोगों की पहचान की है, जिनमें से 22 की पहले ही मौत हो चुकी है। जबकि 11 संदिग्धों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई गई जिससे एसआईटी को चार संदिग्धों को पकड़ने में मदद मिली। सिंह ने बताया कि गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी दर्जनों अन्य लोगों के साथ 1984 में गुरुदयाल सिंह के घर में आग लगाने के लिए निराला नगर पहुंचे थे। 

गिरफ्तार किए गए दंगाइयों की पहचान सैफुल्ला, योगेंद्र सिंह, विजय नारायण सिंह और अब्दुल रहमान के रूप में हुई है। यह सभी घाटमपुर इलाके के रहने वाले हैं, और वहीं से उन्हें पकड़ा गया । उन्होंने बताया कि गुरुदयाल के घर में किरायेदार के रूप में 12 परिवार रहते थे और हमले के दौरान तीन लोगों को जिंदा जला दिया गया था, जबकि राजेश गुप्ता के रूप में पहचाने जाने वाला एक दंगाई भी दोनों तरफ से चली गोलियों के बीच मारा गया था। बालेंदु भूषण ने कहा, ‘‘हम 11 मामलों की जांच कर रहे हैं और दिल्ली, पंजाब और राजस्थान में बसे गवाहों से तथ्यों की खोज के बाद 96 प्रमुख संदिग्धों की पहचान की है, लेकिन एसआईटी ने पाया कि इनमें से 22 की मौत हो चुकी है।'' वर्ष 1984 के सिख दंगों के बाद मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। जिसमें 127 लोग मारे गए थे। 

शहर के गोविंद नगर इलाके में एक बंद घर से रक्त के नमूनों सहित महत्वपूर्ण सबूत लगभग एक साल पहले लिए गए थे, जिस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों के दौरान भीड़ ने हमला किया था। बालेंदु भूषण ने कहा कि उच्च्तम न्यायालय के आदेश पर योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने फोरेंसिक टीम के साथ बंद घर में प्रवेश किया था।
 

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