SP देश की सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टी, तो क्या 47 करोड़ की आय में निपटा देगी UP चुनाव

Edited By Anil Kapoor,Updated: 16 Mar, 2019 12:28 PM

sp is the country s richest regional party

जब भी देश के आम चुनाव में राजनीतिक दलों के खर्चे की बात आती है तो आम जनता के दिमाग में करोड़ों-अरबों रुपए खर्च होने की तस्वीर उभर आती है। सत्ता की जंग जीतने के लिए हर सियासी दल साम-दाम, दंड-भेद जैसे हथकंडे अपनाते हैं।

लखनऊ(सूरज ठाकुर): जब भी देश के आम चुनाव में राजनीतिक दलों के खर्चे की बात आती है तो आम जनता के दिमाग में करोड़ों-अरबों रुपए खर्च होने की तस्वीर उभर आती है। सत्ता की जंग जीतने के लिए हर सियासी दल साम-दाम, दंड-भेद जैसे हथकंडे अपनाते हैं। सारी चुनाव प्रक्रिया में राजनीतिक दल अरबों रुपए अपने प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में झोंक देते हैं जबकि चुनाव आयोग की गाइडलाइंस पर ही राजनीतिक दलों को प्रचार-प्रसार पर पैसा खर्च करना पड़ता है। यही नहीं हर वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा भी इन्हें चुनाव आयोग में जमा करवाना पड़ता है।

वित्तीय वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी देश का सबसे अमीर क्षेत्रीय दल है। यहां चौंकाने वाली बात यह है कि आयोग को दिए गए आंकड़ों में पार्टी की आय 47.19 करोड़ ही है। 20 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले इस राज्य में इतनी कम आय के साथ 80 सीटों पर क्या पार्टी के लिए चुनाव संभव है या फिर आंकड़े चुनाव आयोग और आम जनता को भ्रमित करने वाले हैं, यह गहन चिंतन का विषय है। यह सवाल अहम है कि क्या सपा 47 करोड़ की आय में यूपी चुनाव निपटा देगी?

37 पार्टियों ने चुनाव आयोग में जमा किया लेखा-जोखा
चुनावी डंका बजने के बाद तमाम पार्टियां सियासी अखाड़े में कूद गई हैं। जोड़-तोड़ की राजनीति जोरों पर है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका अहम रहेगी। एसोसिएशन ऑफ डैमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 37 रिजनल पार्टियां वित्तीय वर्ष 2017-18 का अपनी इन्कम और खर्चों का ब्यौरा चुनाव आयोग को दे चुकी हैं जबकि 11 पार्टियों के आंकड़े चुनाव आयोग में जमा नहीं हुए हैं। इनमें प्रमुख तौर पर बी.पी.एफ., जे.के.पी.डी.पी. व जे.के.एन.सी. शामिल हैं। इन आंकड़ों के हिसाब से समाजवादी पार्टी देश की सबसे अमीर पार्टी है।

सबसे ज्यादा इन्कम वाली 3 पार्टियां
अक्तूबर 2018 तक 37 रिजनल पार्टियों ने चुनाव आयोग में अपनी ऑडिट रिपोर्ट्स जमा कीं। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक 2017-18 में रिजनल पार्टियों की कुल आय 237.27 करोड़ रुपए थी।

- समाजवादी पार्टी ने अपनी कुल आय 47.19 करोड़ रुपए दर्शाई है जो सभी पार्टियों की दर्शाई गई आय का 19.89 प्रतिशत है।

- द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डी.एम.के.) ने अपनी आय 35.74 करोड़ घोषित की है जोकि कुल आय का 15.07 प्रतिशत है।

- तेलंगाना राष्ट्र समिति (टी.आर.सी.) की आय 27.27 करोड़ है, यह सभी दलों की कुल आय का 11.49 प्रतिशत है। इन टॉप दलों की कुल आय 110.21 करोड़ है जोकि सभी दलों की कुल आय का 46.45 प्रतिशत है।

42 फीसदी घटी क्षेत्रीय पार्टियों की आय
वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 34 क्षेत्रीय पार्टियों की आय 409.64 करोड़ थी जो वर्ष 2017-18 में 42 फीसदी घटकर 236 करोड़ रुपए रह गई। वित्तीय वर्ष 2016-17 में ए.जे.एस.यू., ए.आई.एफ.बी. और जे.के.एन.पी.पी. क्षेत्रीय पार्टियों ने चुनाव आयोग में अपना रिकॉर्ड ही जमा नहीं करवाया।

22 पार्टियों का खर्चा आय से कम
2017-18 दौरान 22 क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी आय से कम खर्च किया है जबकि 15 ने अपनी आय से अधिक खर्चे दिखाए। इसी वित्त वर्ष में 37 पार्टियों ने कुल 170.45 करोड़ रुपए खर्च किए। टॉप 3 राजनीतिक पार्टियों में समाजवादी पार्टी ने 34.53, डी.एम.के. ने 27.47 व टी.डी.पी. ने 16.73 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया। समाजवादी पार्टी ने कुल दलों का 20.26 प्रतिशत अकेले ही खर्च किया है। तीनों दलों का खर्च कुल राशि का 46 प्रतिशत बनता है।

कहां से आया पैसा?
2017-18 के दौरान 37 क्षेत्रीय पाॢटयों ने स्वैच्छिक दान और चुनावी बॉन्ड्स के जरिए 32.58 फीसदी यानी 77.30 करोड़ रुपया एकत्रित किया। जनता दल सैकुलर ने अकेले ही चुनावी बॉन्ड्स से 6.03 करोड़ की आय अर्जित की। मैंबरशिप कैंपेन से 37 दलों ने कुल राशि का 36.50 प्रतिशत यानी 86.60 करोड़ रुपए एकत्रित किए।

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