जितना आप सोचते हैं, उतना भी साफ नहीं है आपका बिस्तर, स्वास्थ्य को लेकर इन बातों का रखें विशेष ध्यान

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 17 Jul, 2021 06:21 PM

your bed is not as clean as you think take special care of these things

बिस्तर पर कंबल ओढ़, तकिये पर सिर धंसाकर चैन की नींद लेने से ज्यादा सुकून देने वाला शायद कुछ नहीं लेकिन इससे पहले की आप बिस्तर पर मीठे सपने में खोने की तैयारी

यूपी डेस्कः  बिस्तर पर कंबल ओढ़, तकिये पर सिर धंसाकर चैन की नींद लेने से ज्यादा सुकून देने वाला शायद कुछ नहीं लेकिन इससे पहले की आप बिस्तर पर मीठे सपने में खोने की तैयारी करें हम जो बताने जा रहे हैं उसे पढ़कर एक बार तो आपकी नींद उड़ना लाजिमी है क्योंकि जिस बिस्तर पर आप सोने जा रहे हैं वह कई तरह के जीवाणुओं व विषाणुओं का घर हो सकता है। बिस्तर पर मौजूद पसीने, लार, रुसी, त्वचा की मृत कोशिकाएं और यहां तक खाने के कण बैक्टीरिया, कवक, विषाणु और सूक्ष्म कीटों को फलने-फूलने का आदर्श माहौल मुहैया कराते हैं। यहां ऐसे कुछ सूक्ष्म जीव हैं जो हमारे बिस्तर पर मौजूद रहते हैं।

बैक्टीरियाः हमारे बिस्तर बैक्टीरिया की कई प्रजातियों की मेजबान की भूमिका निभा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अस्पतालों के बिस्तरों पर बिछाई जाने वाली चादरों पर किए गए अनुसंधान में पता चला कि स्टैफाइलोकोकस बैक्टीरिया की उपस्थित आम है। बैक्टीरिया का ये प्रकार आमतौर पर हानिकारक नहीं होते लेकिन घाव आदि के रास्ते शरीर में दाखिल होने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में स्टैफाइलोकोकस की कुछ प्रजातियां अन्य से अधिक नुकसान पहुंचा सकती हैं। जैसे स्टैफाइलोकोकस ऑरस को लें जो बहुत संक्रामक है और त्वचा संक्रमण, निमोनिया और मुहांसे जैसी समस्या उत्पन्न कर सकता है। बैक्टीरिया का यह प्रकार न केवल केवल तकिये के खोल में पाया जाता है बल्कि अनुसंधान में पाया गया है कि इसके कुछ प्रकार एंटीबायोटिक के प्रति भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके हैं।

बता दें कि सोने के दौरान रोजाना आपके शरीर से 50 करोड़ त्वचा कोशिकाएं अलग होती हैं। ये त्वचा कोशिकाएं सूक्ष्म कीटों को खाने के लिए आकर्षित कर सकती हैं। ये कीट और उनके अपशिष्ट एलर्जी और यहां तक कि दमा की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। खटमल भी खतरनाक हो सकते हैं। हालांकि, इन छोटे कीटों (करीब पांच मिलीमीटर लंबे) से बीमारियों का प्रसार होता नहीं दिखा है,लेकिन इनसे खुजली और त्वचा पर लाल निशान बन सकते हैं। इसके अलावा मानसिक स्वस्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है जैसे घबराहट, अनिद्रा और एलर्जी। खटमल नरम सतह जैसे कपड़े, झोले आदि या परिवार के दूसरे सदस्यों के माध्यम से घर पहुंच सकते हैं। चादर को उच्च् तापमान (करीब 55 डिग्री सेल्सियस) पर धोने से सूक्ष्म कीट मर जाते हैं लेकिन खटमल के खात्मे के लिए पेशेवर तरीका अपनाना होता है।

घर में इस्तेमाल सामग्री से कीटाणु दूषित घरेलू सामान जैसे तौलियां, शौचालय या स्नानघर, रसोईघर के सतह या यहां तक कि पालतू जानवरों से भी कीटाणु अपने बिस्तर पर ला सकते हैं। स्नानघर और रसोईघर में इस्तेमाल होने वाली तौलियों में अकसर विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया जैसे स्टैफाइलोकोकस ऑरस और ई-कोलाई होते हैं। इन तौलियों की ठीक से धुलाई नहीं करने पर ये जीवाणु बिस्तर पर बिछी चादर सहित घर के अन्य सामान तक पहुंच सकते हैं। यहां तक प्रमेह (गानरीअ) बीमारी भी दूषित तौलियों और बिस्तर से फैल सकती है। अलग-अलग तरह के सूक्ष्ण जीव की प्रजातियां रेशों पर अलग-अलग समय तक जिंदा रहती है। स्टैफाइलोकोकस ऑरस सूती कपड़े पर एक सप्ताह तक और टेरीकॉटन कपड़े पर दो सप्ताह तक जिंदा रह सकता है। कवक की प्रजातियां (जैसे कैंडिडा अल्बिकेंस, जो मुंह में छाले, मूत्र नलिका और जननांग में संक्रमण उत्पन्न कर सकता है) कपड़ों पर एक महीने तक जिंदा रह सकती हैं। जुकाम के लिए जिम्मेदार विषाणु कपड़े और टिशू पर आठ से 12 घंटे तक जिंदा रह सकते हैं। कई प्रकार के विषाणु जैसे वैक्सीनिया वायरस ऊन और सूती कपड़े पर 14 हफ्ते तक जिंदा रह सकते हैं।

बिस्तर की स्वच्छता
अच्छे तरीके से और नियमित तौर पर बिस्तर की धुलाई यह सुनिश्चित करने की कुंजी है कि आम स्वास्थ्य खतरे नहीं उत्पन्न हों, लेकिन आप कितनी अवधि में अपनी चादर बदलें? हम रोजाना अपनी चादर नहीं धो सकते हैं, लेकिन एक काम आप कर सकते हैं और यह है प्रत्येक सुबह चादर को हवा लगने दें। आपके सोने के दौरान बिस्तर में नमी आ जाती है, इसलिए बिस्तर पर रखी रजाई आदि चादर पर से हटा दें ताकि उसपर और गद्दे पर हवा लग सके और अपका बिस्तर बैक्टीरिया और खटमलों के लिए कम आकर्षक ठिकाना हो। गद्दे भी बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों के बड़े स्रोत हो सकते हैं क्योंकि सालों से उनपर त्वचा की मृत कोशिकाएं, खाने के कण और कवक जमा हो रहे होते हैं। चूंकि गद्दे को धोना मुश्किल होता है, ऐसे में उसपर धोने योग्य लिहाफ लगाने और उसे प्रत्येक एक या दो सप्ताह पर धोने से उसपर जमा जीवाणुओं की संख्या कम करने में मदद मिल सकती है। वैक्यूम क्लीनर से गद्दे और बिस्तर की सफाई हर महीने करने से भी एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों और धूल को हटाने में मदद मिल सकती है। नियमित तौर पर गद्दे को पलटें और 10 साल से अधिक पुराना गद्दा होने पर उसे बदल दें। इसके साथ ही बिस्तर पर खाना नहीं खाएं, पालतू जानवरों को बिस्तर से दूर रखें। गंदे मोजे निकाल देने से भी बिस्तर को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।

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