आखिर क्यों मनाई जाती है दीपावली? जाने इसके पीछे की कहानियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Oct, 2017 06:08 PM

why is diwali celebrated after all go behind the stories

भारत एक ऐसा देश है जिसको त्योहारों की भूमि कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भारत में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं और इसी कारण हमेशा किसी ना किसी त्यौहार का माहौल तो बना ही रहता है। इन्हीं पर्वों मे से एक खास पर्व है दीपावली जो दशहरा के 20 दिन बाद...

यूपी डैस्कः भारत एक ऐसा देश है जिसको त्योहारों की भूमि कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भारत में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं और इसी कारण हमेशा किसी ना किसी त्यौहार का माहौल तो बना ही रहता है। इन्हीं पर्वों में से एक खास पर्व है दीपावली जो दशहरा के 20 दिन बाद आता है।

इस त्योहार को देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन हम दीपावली क्‍यों मनाते हैं, आखिर इसके पीछे क्‍या कारण है? तो आइए आज हम आपको दीपावली से संबंधित 6 ऐसी कहानियां बताएं जिसके कारण हम यह पर्व मनाया जाता है।

1: श्री राम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में 
यह कहानी सभी भारतीय को पता है कि हम दिवाली श्री राम जी के वनवास से लौटने की खुशी में मनाते हैं। मंथरा के गलत विचारों से पीड़ित हो कर भरत की माता कैकई  श्रीराम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनवद्ध कर देती हैं। ऐसे में श्रीराम अपने पिता के आदेश को सम्मान मानते हुए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़ते हैं। वहीं वन में रावण माता सीता का छल से अपहरण कर लेता है।
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तब श्री राम सुग्रीव के वानर सेना और प्रभु हनुमान के साथ मिल कर रावण का वध करके सीता माता को छुड़ा लाते हैं। उस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है और जब श्री राम अपने घर अयोध्या लौटते हैं तो पूरे राज्य के लोग उनके आने के खुशी में रात्री के समय दीप जलाते हैं और खुशियां मनाते हैं। तब से यह दिन दीपावली के नाम से जाना जाता है।

2: पांडवों का अपने राज्य में वापस लौटना 
आप सभी ने महाभारत की कहानी तो सुनी ही होगी। कौरवों ने, शकुनी मामा के चाल की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों का सब कुछ छीन लिया था। यहां तक की उन्हें राज्य छोड़ कर 13 वर्ष के लिए वनवास भी जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमावस्या को वो 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने के खुशी में उनके राज्य के लोगों नें दीप जला कर खुशियां मनाई थी।
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3: सिक्खों के 6वें गुरु को मिली थी आजादी
मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के 6वें गुरु गोविंद सिंह सहित 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। गुरू को कैद करने के बाद जहांगीर मानसिक रूप से परेशान रहने लगा। जहांगीर को स्वप्न में किसी फकीर से गुरू जी को आजाद करने का हुक्म मिला था। जब गुरु को कैद से आजाद किया जाने लगा तो वे अपने साथ कैद हुए राजाओं को भी रिहा करने की मांग करने लगे। गुरू हरगोविंद सिंह के कहने पर राजाओं को भी कैद से रिहाई मिली थी। इसलिए इस त्यौहार को सिख समुदाय के लोग भी मनाते हैं।
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4: भगवान् श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का किया था संहार 
इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर (जो की आज दक्षिण नेपाल एक प्रान्त है) का राजा था। नरकासुर इतना क्रूर था की उसने देवमाता अदिति के शानदार बालियों तक को छीन लिया। देवमाता अदिति श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की सम्बन्धी थी। नरकासुर ने कुल 16 भगवान की कन्याओं को बंधित कर के रखा था। श्री कृष्ण की मदद से सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया और सभी देवी कन्याओं को उसके चंगुल से छुड़ाया।
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5: माता लक्ष्मी का सृष्टि में अवतार 
हर बार दीपावली का त्यौहार हिन्दी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने के “अमावस्या” के दिन मनाया जाता है। इसी दिन समुन्द्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने सृष्टि में अवतार लिया था। माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसीलिए हर घर में दीप जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करतें हैं। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है।
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6: राजा विक्रमादित्य का हुआ था राज्याभिषेक
राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के संरक्षणों के कारण हमेशा जाना जाता है। इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था। राजा विक्रमादित्य मुगलों को धूल चटाने वाले भारत के अंतिम हिंदू सम्राट थे।
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