Edited By Purnima Singh,Updated: 08 Apr, 2025 06:39 PM

यूपी के नोएडा जिले से चोरी के खुलासे का अनोखा मामला सामने आया है। यहां की पुलिस ने केवल जूते के जरिए चोरी का खुलासा कर दिया। पुलिस ने जूते के सफेद सोल को देखते हुए 60 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले। फिर उन्हें बदमाशों का लिंक मिला। लिंक का पीछा...
नोएडा : यूपी के नोएडा जिले से चोरी के खुलासे का अनोखा मामला सामने आया है। यहां की पुलिस ने केवल जूते के जरिए चोरी का खुलासा कर दिया। पुलिस ने जूते के सफेद सोल को देखते हुए 60 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले। फिर उन्हें बदमाशों का लिंक मिला। लिंक का पीछा करते-करते पुलिस को एक बदमाश के बारे में जानकारी हुई। जिसके बाद पुलिस ने 3 आरोपियों को हिरासत में लिया।
तफ्सील से जानें पूरा मामला
पूरा मामला नोएडा सेक्टर-55 का है। यहां एक कार चोरी हो गई थी। चोरी की घटना के बाद सेक्टर-58 पुलिस ने जूते के सफेद सोल को देखते हुए 60 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले। फिर कहीं जाकर पुलिस को बदमाशों का लिंक मिला और पुलिस चिपियाना तक पहुंच गई। पुलिस को वाइट सोल वाले जूते पहने व्यक्ति की चोरी में भूमिका साफ दिखी। इसके बाद कैमरों से अलग-अलग पॉइंट पर उसकी एक्टिविटी को ट्रेस किया गया। वाइट सोल वाला जूता पहने व्यक्ति एक बाइक पर पीछे बैठा हुआ दिखाई दिया। उस बाइक को ट्रेस कर नोएडा पुलिस उस तक पहुंची तो सामने आया कि बाइक टैक्सी ड्राइवर की थी। पुलिस पूछताछ में टैक्सी ड्राइवर ने यूपीआई से पेमेंट के बारे में जानकारी दी। जिससे पुलिस को आरोपी तक पहुंचने का क्लू मिल गया। पुलिस ने यूपीआई को ट्रेस कर दिनेश तक पहुंचने का जाल बिछाया और वह उस तक पहुंच भी गई। दिनेश ही उस दिन वाइट सोल वाला जूता पहना था। दिनेश की डिटेल आने के बाद पुलिस ने उसके दो और साथियों को गिरफ्तार कर लिया।
तीनों आरोपियों से पूछताछ में जुटी पुलिस
पुलिस ने आरोपियों के पास से 2 ईको कार, एक गाड़ी का इंजन समेत अन्य पार्ट्स, फर्जी नंबर प्लेट और अन्य सामान बरामद किया। नोएडा एडीसीपी सुमित शुक्ला ने इस मामले में बताया कि बदमाशों की पहचान मूलरूप से संभल के रहने वाले दिनेश और आकिब, बरेली के वसीम के रूप में हुई है। वहीं उनके साथियों के बारे में पुलिस पूछताछ कर रही है।
चेसिस नंबर डाल बेचते थे वाहन
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह ईको जैसी बेसिक कार को ही अपना निशाना बनाते थे। वह ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि इसे चोरी करना उनके लिए आसान होता था। ईको कार में सिक्यॉरिटी के ज्यादा फीचर नहीं होते हैं। उन्होंने आगे बताया कि वह कार को चोरी करने के बाद उसमें एक स्क्रैप कार का इंजन डाल देते थे। साथ ही चेसिस नंबर भी चढ़ा देते थे। बाद में चोरी की कार को दूसरी कार के पेपर के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में बेच देते थे।