Edited By Ramkesh,Updated: 04 Nov, 2024 02:16 PM
यूपी में करीब एक लाख 37 हजार परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। सर्वे में पाया गया कि 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां 50 से भी कम छात्र हैं। सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को आसपास के अन्य स्कूलों के साथ मर्ज करने...
लखनऊ: यूपी में करीब एक लाख 37 हजार परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। सर्वे में पाया गया कि 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां 50 से भी कम छात्र हैं। सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को आसपास के अन्य स्कूलों के साथ मर्ज करने का फैसला लिया है। इसे लेकर जब सियासत गरमाई तो योगी सरकार बैक फुट पर आ गई और बेसिक शिक्षा विभाग ने स्पष्टीकरण जारी किया है। विभाग ने कहा कि 27000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात की गई है बिल्कुल भ्रामक एवं निराधार है।
किसी भी विद्यालय को बंद करने की कोई भी प्रक्रिया गतिमान नहीं है। प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा विभाग विद्यालयों में मानव संसाधन और आधारभूत सुविधाओं के विकास, शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने तथा छात्रों, विशेषकर बालिकाओ के, ड्राप आउट दर को कम करने के लिए सतत प्रयत्नशील है। इस दृष्टि से समय-समय पर विभिन्न अध्ययन किए जाते हैं। विगत वर्षों में प्रदेश के विद्यालयों में कायाकल्प, निपुण, प्रेरणा आदि योजनाओं के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति एवं सुधार हुए हैं। विभाग के लिए प्रदेश के छात्रों का हित सर्वोपरि है।
गौरतलब है कि स्कूलों को बंद करने के फैसले को लेकर मायावती ने लिखा,''यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकेण्डरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिशा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित।
बसपा प्रमुख ने कहा, ''सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसा कि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं।