UP MLC Election 2022: बदायूं, अलीगढ़ और मिर्जापुर में BJP उम्मीदवारों की जीत तय, कहीं विपक्ष का नामांकन निरस्त कहीं लिया वापस

Edited By Mamta Yadav,Updated: 23 Mar, 2022 08:05 PM

up mlc the victory of bjp candidates in badaun aligarh and mirzapur

उत्तर प्रदेश के बदायूं, अलीगढ़ और मिर्जापुर में विधानपरिषद चुनाव के लिए विपक्षियों के नाम वापस लेने या नामांकन निरस्त होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत लगभग तय हो गई है। बदायूं में समाजवादी पार्टी (सपा) के...

बदायूं/अलीगढ़/मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के बदायूं, अलीगढ़ और मिर्जापुर में विधानपरिषद चुनाव के लिए विपक्षियों के नाम वापस लेने या नामांकन निरस्त होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत लगभग तय हो गई है। बदायूं में समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार एवं पूर्व विधायक सिनोद कुमार शाक्य ने अपना नामांकन वापस ले लिया है जिसके बाद भाजपा प्रत्याशी का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है।

जिलाधिकारी दीपा रंजन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि शाक्य ने आज अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसके बाद अब चुनाव मैदान में सिर्फ भाजपा प्रत्याशी वागीश पाठक बचे हैं। उन्होंने बताया कि वागीश को अब निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा और इस आशय की सूचना चुनाव आयोग को दे दी गई है। उल्लेखनीय है कि बदायूं सपा का गढ़ रहा है। सपा ने प्रदेश विधानपरिषद चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया दोबारा शुरू करने की मांग की है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट किया था, ‘‘भाजपा के राज में लोकतंत्र की रक्षा की अपेक्षा करना… दिन में तारे ढूँढना है। ये बाहुबल का घोर निंदनीय रूप है। या तो पर्चा नहीं भरने दिया जाएगा या चुनाव को प्रभावित किया जायेगा या परिणामों को। हार का डर ही जनमत को कुचलता है।''

अलीगढ़ में अलीगढ़-हाथरस सीट से एकमात्र प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार सपा के जसवंत सिंह यादव का नामांकन तकनीकी आधार पर निरस्त हो जाने से भाजपा उम्मीदवार ऋषि पाल सिंह के भी निर्विरोध निर्वाचित होने का रास्ता साफ हो गया है। जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने बताया कि सपा उम्मीदवार जसवंत अपने नामांकन के एक हस्ताक्षरी प्रमोद कुमार को पेश करने में नाकाम रहे। उन्होंने बताया कि जसवंत को आज तक का समय दिया गया था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके, जिसकी वजह से उनका नामांकन खारिज कर दिया गया। हालांकि, सपा उम्मीदवार के वकील का आरोप है कि यादव का नामांकनपत्र फर्जी आधार पर खारिज किया गया है और यह उनके मुवक्किल के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।

सपा के जिला अध्यक्ष गिरीश यादव का आरोप है कि यह सबकुछ जानबूझकर किया गया है ताकि सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित की जा सके। उधर, मिर्जापुर में भी सपा उम्मीदवार रमेश ने अपना नामांकन वापस ले लिया जिससे भाजपा प्रत्याशी विनीत सिंह के निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ हो गया है। मिर्जापुर के अपर जिलाधिकारी शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि सपा उम्मीदवार रमेश ने अपना नामांकन वापस ले लिया है, हालांकि उनका नामांकनपत्र जांच में बिल्कुल दुरुस्त पाया गया था। मिर्जापुर में रमेश के साथ-साथ भाजपा के विनीत सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार प्रेमचंद ने नामांकन दाखिल किया था। लेकिन, चंद का नामांकन कुछ खामियों की वजह से खारिज कर दिया गया था।

उधर, लखीमपुर में सपा प्रत्याशी अनुराग वर्मा का नामांकन बुधवार को निरस्त कर दिया गया। पीठासीन अधिकारी एस. के. सिंह ने बताया कि सपा उम्मीदवार के नामांकन के साथ दिया गया हलफनामा एक ऐसे नोटरी वकील से बनवाया गया था जिसका लाइसेंस अब वैध नहीं है और यह नोटरी अधिनियम 1952 का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि अनुराग वर्मा अपने नामांकन पर आई आपत्तियों को दूर करने में निर्धारित समय के अंदर विफल रहे इसी वजह से उनके नामांकन के तीनों सेट निरस्त कर दिए गए हैं। बहरहाल, वर्मा ने इसे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताते हुए उसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का ऐलान किया है।

लखीमपुर से ही एक निर्दलीय उम्मीदवार नवनीत शुक्ला का नामांकनपत्र भी आधा-अधूरा हलफनामा दाखिल करने की वजह से खारिज कर दिया गया। अब मैदान में भाजपा उम्मीदवार अनूप कुमार गुप्ता और निर्दलीय प्रत्याशी नरसिंह बचे हैं। इससे पहले, मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से सपा उम्मीदवारों उदयवीर सिंह और राकेश यादव के नामांकन रद्द होने तथा बुलंदशहर सीट से राष्ट्रीय लोकदल उम्मीदवार के नाम वापस ले लेने की वजह से इन सीटों पर भी भाजपा प्रत्याशियों की निर्विरोध जीत तय हो गई थी। विधानपरिषद के स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 36 सीटों के लिए मतदान आगामी नौ अप्रैल को होगा जबकि वोटों की गिनती 12 अप्रैल को होगी। इस चुनाव में भी मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है।

हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत के बाद भाजपा 100 सदस्यों वाली विधानपरिषद में भी बहुमत हासिल करने की कोशिश कर रही है। विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के कारण अब विधानपरिषद में भाजपा के 34 सदस्य रह गए हैं। सदन में समाजवादी पार्टी के 17 तथा बहुजन समाज पार्टी के चार सदस्य हैं। कांग्रेस, अपना दल-सोनेलाल तथा निषाद पार्टी का एक-एक सदस्य है। शिक्षक दल के दो तथा दो अन्य सदस्य हैं। विधानपरिषद में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन के निधन की वजह से एक सीट और रिक्त हो गई है।

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