Edited By Pooja Gill,Updated: 02 May, 2025 09:52 AM

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना का फैसला पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के दवाब में लिया। उन्होंने भाजपा सरकार को चेतावनी दी कि चुनावी धांधली को जाति जनगणना से दूर रखे...
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना का फैसला पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के दवाब में लिया। उन्होंने भाजपा सरकार को चेतावनी दी कि चुनावी धांधली को जाति जनगणना से दूर रखे। एक ईमानदार जनगणना ही हर जाति को अपनी-अपनी जनसंख्या के अनुपात में अपना वो अधिकार और हक़ दिलवाएगी, जिस पर अब तक वर्चस्ववादी फन मारकर बैठे थे। ये अधिकारों के सकारात्मक लोकतांत्रिक आंदोलन का पहला चरण है और भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अंतिम। भाजपा की प्रभुत्ववादी सोच का अंत होकर ही रहेगा। संविधान के आगे मनविधान लंबे समय तक चल भी नहीं सकता है।
'जातीय जनगणना के मुद्दे को लगातार लोकसभा में उठाया'
संविधान निर्माता डा भीमराव अंबेडकर के चित्र पर अपना चेहरा लगाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस कार्यकर्ता ने उत्साहवश यह चित्र लगाया था, उसे समझा दिया गया है कि महापुरुष के चित्र से छेड़छाड़ न करे। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा के किसी कार्यकर्ता ने यह कृत्य किया होता तो उनके मुखिया इस पर कोई कदम नहीं उठाते। अखिलेश ने कहा कि मुलायम सिंह यादव, शरद यादव और लालू प्रसाद यादव ने जातीय जनगणना के मुद्दे को लगातार लोकसभा में उठाया, लड़ाई लड़ी। एक समय था जब दक्षिण भारत से लेकर यहां तक की सभी पाटिर्यां जातीय जनगणना को लेकर एक हो गई थी। यह लंबे संघर्षों की बड़ी जीत है। यह अभी शुरुआत है। इसके आगे प्राइवेट और सरकारी संस्थाओं की नौकरियों और रोजगार में आरक्षण समेत अन्य मुद्दों पर बहस छिड़ेगी।
'भाजपा का रिकॉर्ड धांधली करने का रहा है'
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का रिकॉर्ड धांधली करने का रहा है। चुनाव में भाजपा की धांधली सभी ने देखी है। मुजफ्फरनगर, कुंदरकी करहल, अयोध्या की मिल्कीपुर के उपचुनाव में भाजपा की धांधली से सभी लोग वाकिफ हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार ईमानदारी से जातीय जनगणना करायेगी और सच्चा डाटा मिलेगा। श्रमिक दिवस पर मजदूरों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने श्रमिकों की सुरक्षा का विषय सामाजिक आर्थिक और मानसिक कई स्तरों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। आज श्रमिकों की परम्परागत परिभाषा बहुत व्यापक हो गयी है। इसमें कृषि श्रमिक, मनरेगा, लेबर मंडी श्रमिक, पोटर्र, दुकान श्रमिक, निर्माण श्रमिक, उद्योग क्षेत्र में सेवा श्रमिक है साथ ही जो पढ़े-लिखे हैं लेकिन श्रमिक जैसा ही काम कर रहे हैं डिलीवरी ब्वाय और ड्राईवर इन सबकी चुनौतियां और मुद्दे एक जैसे हैं। इसकी वजह रिकार्ड तोड़ बेरोजगारी, रोजगार की समस्या, कार्यक्षेत्र की परिस्थितियां, कार्य के घंटों की समस्या और न्यूनतम मजदूरी ये सब भाजपा सरकार में हो रहा है।