Edited By Mamta Yadav,Updated: 26 Mar, 2023 12:50 AM

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मथुरा (Mathura) की एक अदालत (Court) ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Sri Krishna birthplace) - शाही मस्जिद ईदगाह मामले (Royal Idgah Mosque case) में शाही मस्जिद ईदगाह की पहले सर्वे (Survey) कराने के प्रार्थनापत्र (Application)...
मथुरा: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मथुरा (Mathura) की एक अदालत (Court) ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Sri Krishna birthplace) - शाही मस्जिद ईदगाह मामले (Royal Idgah Mosque case) में शाही मस्जिद ईदगाह की पहले सर्वे (Survey) कराने के प्रार्थनापत्र (Application) को निरस्त (Rejected) कर दिया है। अपर सत्र न्यायाधीश अभिषेक पाण्डे की अदालत ने शनिवार को बचाव पक्ष की दलीलों एवं उनके द्वारा प्रस्तुत की गई उच्चतम न्यायालय की एक नजीर को अधिक महत्व देते हुए यह निर्णय लिया है।

विवाद में आगे की सुनवाई लोअर कोर्ट में चलती रहेगी
श्रीकृष्ण विराजमान के वादी दिल्ली निवासी जय भगवान गोयल एवं तीन अन्य ने शाही मस्जिद ईदगाह के पहले सर्वे की गुहार लगाई थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग को खारिज कर दिया। यह मांग श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने की थी। इस विवाद में आगे की सुनवाई लोअर कोर्ट में चलती रहेगी।
बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि को मुक्त कराकर शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में दावा दाखिल किया था। इस दावे को कोर्ट ने स्वीकार किया था। साथ ही यह भी कहा था कि पहले विवादित स्थल पर कोर्ट कमिश्नर भेजकर वास्तविक स्थिति मंगा ली जाए। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान, शाही ईदगाह कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को इस में प्रतिवादी बनाया था। सुन्नी सेंट्रल बोर्ड और शाही ईदगाह कमेटी की तरफ से कोर्ट से कहा गया कि पहले 7 रूल 11 के तहत दावे की पोषणीयता पर सुनवाई होनी चाहिए। पोषणीयता का मतलब है कि यह दावा चलने योग्य है या नहीं पहले यह साफ हो।