Edited By Prashant Tiwari,Updated: 14 Jan, 2023 06:08 PM
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के डॉ ज्ञानचंद ने थायराइड कैंसर को रोबोट से निकाल कर चमत्कार कर दिया है। उन्होंने प्रदेश के साथ ही भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी की है।
लखनऊ : संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के डॉ ज्ञानचंद ने थायराइड कैंसर को रोबोट से निकाल कर चमत्कार कर दिया है। उन्होंने प्रदेश के साथ ही भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी की है। जिसमें गले के ऑपरेशन में बिना चीरा लगाए सफल ऑपरेशन किया है।
गले में थायराइड की गांठ थी
प्रयागराज निवासी 21 वर्षीय युवती रचना के गले में थायराइड की गांठ हो गई थी। जो लगातार बढ़ रहा था। जिसके इलाज के लिए वह अपने भाई के साथ जब प्रयागराज के कमला नेहरू कैंसर अस्पताल पहुँची तो जांच के बाद वहां के डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि गांठ काफ़ी बढ़ चुकी है और गांठ में कैंसर है। उसकी जटिलताओं के चलते इसकी सर्जरी बिना गले में चीरा लगाये संभव नहीं है। ऐसे में सर्जरी के बाद उसके गले पर लगने वाले चीरे- टांके के निशान को लेकर वह बहुत असहज और निराश थी। इसीलिए बिना गले में चीरा लगाये सर्जरी कराने के बारे में जब पूछा तो वहां के डॉक्टरों ने रचना को SGPGI लखनऊ के रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द के पास भेज दिया।
गले में चीरा लगाये बगैर कैंसर ट्यूमर को निकाला
डॉ ज्ञान ने जांच कर के रचना को बताया कि उसे पैपिलरी थायराइड कैंसर है। जिसकी सर्जरी यदि रोबोटिक विधि द्वारा की जाये तो बिना गले में चीरा लगाये कैंसर ट्यूमर को भी कुशलता पूर्वक निकाला जा सकता है लेकिन यह अपने आप में पहला केस होगा। जिसमें कैंसर के बिगड़ा रूप लिए हुए थायराइड ट्यूमर को रोबोटिक्स विधि से निकाला जाएगा। रचना और उसके परिवार की सहमति के बाद डॉ ज्ञान ने बीते शुक्रवार को चार घंटे लंबे चले ऑपरेशन में रचना के गले में कैंसर से ग्रसित थायराइड ग्रंथि समेत कई गाठों को बिना गले में चीरा लगाए सफलतापूर्वक निकाल दिया। ऑपरेशन में डॉ ज्ञान के साथ उनकी टीम में डॉ अभिषेक प्रकाश , डॉ सारा इदरीस व डॉ रीनेल शामिल रहे साथ ही एनेस्थीसिया में डॉ सुजीत गौतम और उनकी टीम ने भी अपना सहयोग किया ।
डॉ ज्ञान चन्द ने दी जानकारी
ऑपरेशन व बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ ज्ञान चन्द ने बताया कि रोबोटिक थायराइड कैंसर सर्जरी में थायराइड ग्रंथि के साथ-साथ गले में कैंसर की गाँठों को भी निकाला जाता है। पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल है किन्तु मरीज़ को भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से राहत देने वाली है क्योंकि अमूमन मरीज को शल्य चिकित्सा के बाद पड़ने वाले निशान के साथ ही जीना होता है। जिससे कम उम्र में ऐसी बीमारी हो जाने के बाद महिलाओं को तमाम सामाजिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मरीज अवसाद का भी शिकार हो जाता है लेकिन रोबोटिक सर्जरी में ऐसा नहीं होता। डॉ ज्ञान बताते हैं कि ऐसी कठिन सर्जरी करने की प्रेरणा उन्हें SGPGI के निदेशक डॉ आरके धीमान से मिली। डॉ धीमन लंबे समय से चाहते थे की संस्थान में मरीज़ों के लिए जो कुछ भी बेहतर हो उसे किया जाए। डॉ ज्ञान ने अपने विभागाध्यक्ष डॉ गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन को भी सराहा। उन्होंने बताया कि यह उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की पहली रोबोटिक सर्जरी है एवं संपूर्ण भारत में किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी है। जिसमें थायराइड कैंसर को रोबोट से निकाला गया है।