Edited By Anil Kapoor,Updated: 29 Sep, 2023 08:26 AM

Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में गुरुवार को एक स्कूल शिक्षिका को सांप्रदायिक नफरत भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उसने कथित तौर पर एक सवाल का जवाब नहीं देने पर एक मुस्लिम छात्र को हिंदू सहपाठी को थप्पड़ मारने ....
Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में गुरुवार को एक स्कूल शिक्षिका को सांप्रदायिक नफरत भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उसने कथित तौर पर एक सवाल का जवाब नहीं देने पर एक मुस्लिम छात्र को हिंदू सहपाठी को थप्पड़ मारने का आदेश दिया था। घटना जिले के असमोली थाना क्षेत्र के दुगावर गांव में मंगलवार को एक निजी स्कूल में हुई। हिंदू लड़के के पिता द्वारा एक शिकायत दर्ज की गई थी जिसके बाद शिक्षक शाइस्ता पर आईपीसी की धारा 153 ए (धर्म, जाति, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
आरोपी शिक्षक को कर लिया गया है गिरफ्तार
सूत्रों के मुताबिक, एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने बताया कि आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया है। लड़के के पिता ने आरोप लगाया कि उनका बेटा स्कूल में कक्षा 5 का छात्र है, जहां उसके कक्षा शिक्षक ने उसे एक मुस्लिम छात्र से थप्पड़ मरवाया, क्योंकि वह उसके द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दे सका। अपनी शिकायत में पिता ने कहा कि इससे उनके बेटे की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। एडिशनल एसपी चंद्रा ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है।
मुजफ्फरनगर के खुब्बापुर गांव में हुई थी इसी तरह की एक घटना
गौरतलब है कि पिछले महीने मुजफ्फरनगर के खुब्बापुर गांव में इसी तरह की एक घटना में, एक निजी स्कूल के शिक्षक ने होमवर्क न करने पर एक मुस्लिम बच्चे को उसके सहपाठियों से थप्पड़ मरवा दिया था। आरोपी शिक्षिका तृप्ता त्यागी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जानिए, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर को कहा था कि अगर किसी छात्र को इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है, तो कोई गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है और उसने मुजफ्फरनगर मामले में घटिया जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को घटना की जांच के लिए एक सप्ताह के भीतर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करने का निर्देश दिया।