Prayagraj News: UP में धर्मांतरण पर हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी- 'फादर' हो या 'मौलाना', जबरन धर्मांतरण का अधिकार किसी को नहीं'

Edited By Anil Kapoor,Updated: 22 Aug, 2024 07:04 AM

prayagraj news bail plea of  maulana accused of conversion rejected

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी धर्म परिवर्तन के एक मामले में कहा है कि एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन का कार्य करने वाला व्यक्ति 'धर्म परिवर्तक' कहलाता है, भले ही वह ‘फादर', कर्मकांडी, मौलवी या मुल्ला कुछ भी हो। गाजियाबाद...

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी धर्म परिवर्तन के एक मामले में कहा है कि एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन का कार्य करने वाला व्यक्ति 'धर्म परिवर्तक' कहलाता है, भले ही वह ‘फादर', कर्मकांडी, मौलवी या मुल्ला कुछ भी हो। गाजियाबाद जिले के मोहम्मद शाने आलम की जमानत अर्जी खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 8 यह व्यवस्था देती है कि कोई व्यक्ति अपना धर्म बदलना चाहता है तो वह कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या एडीएम को इस संबंध में एक घोषणा पत्र देगा।

धर्मांतरण के आरोपी मौलाना की जमानत याचिका खारिज
अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने आरोपी अमान के साथ युवती का निकाह कराया लेकिन धर्म परिवर्तन से पूर्व आवश्यक घोषणा पत्र जिला मजिस्ट्रेट को नहीं सौंपा गया। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता मौलाना है जिसने युवती का आरोपी अमान के साथ केवल निकाह कराया, न कि युवती को जबरदस्ती इस्लाम कबूल कराया है। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह दो जून, 2024 से जेल में बंद है। हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान में कहा है कि वह एक कंपनी में कार्यरत थी।

जानिए, इस मामले में  क्या कहना है सरकारी वकील का?
सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी अमान ने पीड़िता का शारीरिक शोषण किया और इस्लाम स्वीकार करने के लिए बाध्य किया एवं 11 मार्च, 2024 को याचिकाकर्ता द्वारा उसका निकाह कराया गया। अदालत ने मंगलवार को दिए अपने आदेश में कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए बाध्य किया गया और उसका निकाह कराया गया। याचिकाकर्ता 'धर्म परिवर्तक' होने के कारण 2021 के कानून के तहत समान रूप से जिम्मेदार है। प्रथम दृष्टया इस कानून के तहत अपराध हुआ है और जमानत का कोई मामला नहीं बनता है।

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