Edited By Harman Kaur,Updated: 16 Jul, 2023 02:00 PM

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच विपक्षी एकता का समर्थन करने वाले ओम प्रकाश राजभर ने विपक्षी एकता को बड़ा झटका दिया है। दरअसल ओपी राजभर ने NDA का दामन थाम लिया है....
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच विपक्षी एकता का समर्थन करने वाले ओम प्रकाश राजभर ने विपक्षी एकता को बड़ा झटका दिया है। दरअसल ओपी राजभर ने NDA का दामन थाम लिया है। इस बात की पुष्टि खुद भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ट्वीट करके की है। उन्होंने भाजपा में शामिल होने पर राजभर का स्वागत किया है। ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए अब क्या रणनीति बनाएगा विपक्ष?
बता दें कि आगामी लोकसभा चुनावों से पहले छोटे-छोटे दलों को साधने की कोशिश में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रविवार को एक और सफलता मिली। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से ताल्लुक रखने वाले ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गई। राजभर के राजधानी दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद यह घोषणा की गई। अमित शाह ने एक ट्वीट में कहा, “ओम प्रकाश राजभर से दिल्ली में भेंट हुई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से जुड़ने का निर्णय लिया है। मैं राजग परिवार में उनका स्वागत करता हूं।” इसके साथ ही शाह ने इस मुलाकात की एक तस्वीर भी साझा की। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राजभर के आने से उत्तर प्रदेश में राजग मजबूत होगी और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गठबंधन द्वारा गरीबों व वंचितों के कल्याण के लिए किए जा रहे प्रयासों को और बल मिलेगा।
राजभर ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भाजपा और सुभासपा साथ आए। सामाजिक न्याय, देश की रक्षा-सुरक्षा, सुशासन और वंचितों, शोषितों, पिछड़ों, दलितों, महिलाओं, किसानों, नौजवानों तथा हर कमजोर वर्ग को सशक्त बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी मिलकर लड़ेंगी।'' उन्होंने कहा कि दिल्ली में शाह से भेंट हुई और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाले राजग में शामिल होने का निर्णय लिया। राजभर ने उत्तर प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में लड़ा था, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सफलता न मिलने के बाद वह सपा से अलग हो गए थे। उन्होंने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था। राजभर की पार्टी ने वर्ष 2017 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। सरकार बनने पर राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने गठबंधन से नाता तोड़ लिया था। ओम प्रकाश राजभर का विशेष रूप से राजभर समुदाय के बीच प्रभाव है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की अच्छी खासी तादाद है। खासतौर से गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, जौनपुर, चंदौली, वाराणसी, देवरिया, संत कबीर नगर, कुशीनगर, गोरखपुर, बस्ती और बहराइच समेत कई जिलों में राजभर मतदाताओं का प्रभाव माना जाता है।
हालांकि इस संदर्भ में जब समाजवादी पार्टी (सपा) के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ''राजभर भी बेसहारा हैं और भाजपा भी अक्षमता की स्थिति में बेसहारा हो गई है, इसलिए दोनों मिलकर भी कुछ नहीं कर सकते हैं।'' चौधरी ने कहा कि ''भाजपा का मूल सिद्धांत आपदा में अवसर की तलाश है। भाजपा इस समय संकट में है और सत्ता में रहने के बाद भी उसे लोकसभा के लिए प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं।'' ‘पूर्वांचल' के एक अन्य ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान ने शनिवार को समाजवादी पार्टी के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इससे पहले अमित शाह से मुलाकात की थी। चौहान के भी जल्द ही भाजपा में शामिल होने की संभावना है।