18 सितंबर से शुरू हो रहा है श्री कृष्ण को समर्पित मलमास, जानें क्यों मनाया जाता है यह

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 17 Sep, 2020 06:27 PM

malmas dedicated to shri krishna starting on september 18

लगभग डेढ़ शताब्दी के बाद पितृपक्ष के बाद ही 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो रहा है जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। तीन वर्ष पहले हुए अधिक मास मेले मेें लगभग...

मथुराः लगभग डेढ़ शताब्दी के बाद पितृपक्ष के बाद ही 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो रहा है जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। तीन वर्ष पहले हुए अधिक मास मेले मेें लगभग ढाई करोड़ से अधिक लोगों ने मथुरा गिरिराज जी की सप्तकोसी परिक्रमा की थी। तब अधिक मास जेष्ठ के माह में पड़ा था। इस बार का मेला इसलिए भी अनूठा है कि लगभग डेढ़ शताब्दी के बाद अधिक मास मेला पितृ पक्ष के तुरन्त बाद ही शुरू हो रहा है।


मलमासः ग्रहों की चाल से है संबंध
दानघाटी मंदिर गोवर्धन के सेवायत आचार्य एवं ज्येातिषाचार्य महेश कुमार शर्मा ने गुरूवारको यहां बताया कि मलमास का संबंध ग्रहों की चाल से है। इसका आधार सूर्य और चन्द्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन का होता है जब कि चन्द्र वर्ष 354 दिन का माना जाता है। इन दोनों के बीच 11 दिन का अन्तर होता है। तिथियों के घट बढ़ जाने के बाद यही अन्तर तीन साल में एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अन्तर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चन्द्रमास आता है जिसे मलमास कहा जाता है।

यह है पौराणिक कथा 
उन्होंने बताया कि मलमास के स्वामी श्रीकृष्ण हैं इसीलिए मलमास में गोवर्धन की परिक्रमा करने का बहुत अधिक महत्व है। इस संबंध में एक पौराणिक द्दष्टांत का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि अपनी उपेक्षा से दु:खी होकर मलमास भगवान विष्णु के पास गया और कहा कि जहां अन्य मास के अलग अलग स्वामी हैं वहीं उसका स्वामी कोई नहीं है जिसके कारण उसका निरादर किया जाता है तथा शुभ कार्यों से उसे निषिद्ध कर दिया गया है। इस प्रकार के विलाप से द्रवित होकर भगवान विष्णु गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण पास उसे लेकर आए और उन्हें न केवल उसकी पीड़ा बताई बल्कि उनसे मलमास को स्वीकार करने के लिए भी कहा। इसके बाद श्रीकृष्ण ने न केवल उसे स्वीकार किया बल्कि उसका नाम पुरूषेात्तम मास दिया और कहा कि उनकी समानता पाने के कारण ही यह मास सभी महीनों में श्रेष्ठ होगा।

मलमास के स्वामी हैं श्री कृष्ण
मान्यता है कि इस माह में जो लोग धार्मिक कार्य नही करेंगे वे कुंभीपाक नर्क में जाएंगे । जो पुरूषोत्तम मास में भक्तिपूर्वक पूजन अर्चन करेगा वह सम्पत्ति, पुत्र आदि का सुख भोगता हुआ गोलोकधाम को प्राप्त करेगा तथा उसे मोक्ष प्राप्त होगा। अधिक मास के बारे में मशहूर भागवताचार्य रसिक बिहारी विभू महराज ने बताया कि अधिक मास को भगवान श्यामसुन्दर ने स्वीकार किया है इसलिए इस माह में कोरोनावायरस की दवा की खोज पूरी हो सकती है। भगवान श्यामसुन्दर का मास होने के कारण अधिक मास में श्रीमदभागवत का श्रवण बहुत अधिक फलदाई होता है।

कट जाते हैं सात जन्मों के पाप
उन्होंने बताया कि वैसे भी श्रीमदभागवत भगवान श्यामसुन्दर के मुख से निकली वाणी है। इसलिए अधिक मास में इसका श्रवण करने से सात जन्म के पाप कट जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसी मास में नरसिंह अवतार हुआ था तथा भागवत के अनुसार भक्त प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति का आशीर्वाद मिला था। उनका कहना था कि इस मास में किये गये पुण्य, दान आदि शुभ कार्य का फल सामान्य समय में किये कार्य का सौ गुना मिलता है।दान के महत्व के कारण ही इस मास में गोवर्धन की परिक्रमा में भंडारे और प्याऊ लगाने की होड़ लग जाती है।

 

 

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