Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 04 Oct, 2020 03:57 PM
देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से पांव पसारता जा रहा है। लिहाजा कोरोना के भय में लोग सामान्य जुकाम को भी कोरोना समझ ले रहे हैं। ऐसे में यह जानना बहुत...
यूपी डेस्कः देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से पांव पसारता जा रहा है। लिहाजा कोरोना के भय में लोग सामान्य जुकाम को भी कोरोना समझ ले रहे हैं। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि आप दोनों में अंतर समझें। सबसे आम होता है जुकाम जिसे अंग्रेजी में कॉमन कोल्ड कहा जाता है। इसके बाद है नॉवल कोरोना वायरस का संक्रमण जिसे कोविड-19 का नाम दिया गया है। नॉवल कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण बहुत हद तक जुकाम या फ्लू जैसे ही होते हैं।
कोरोना वायरस के लक्षण हैं-
बुखार
सूखी खांसी
सांस लेने में तकलीफ
मांसपेशियों में दर्द
थकान
ये कोरोना वायरस के लक्षण हो सकते हैं:
बलगम बनना
बलगम में खून आना
सिर दर्द
दस्त
ये कोरोना वायरस के लक्षण नहीं हैं:
बहती नाक
गले में खराश
जुकामः एक हफ्ते में गायब हो जाते हैं सारे ही लक्षण
बहती नाक और गले में खराश का मतलब है कि आपको फ्लू या कॉमन कोल्ड हुआ है। इन बीमारियों में हमारी श्वसन प्रणाली यानी रेस्पिरेटरी सिस्टम का ऊपरी हिस्सा संक्रमित होता है। जबकि कोविड-19 के मामले में श्वसन प्रणाली का निचला हिस्सा प्रभावित होता है। ऐसे में सूखी खांसी होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है और निमोनिया हो सकता है। अब तक हुए मामलों के रिकॉर्ड दिखाते हैं कि ज्यादातर संक्रमित लोगों में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं देखे गए। कॉमन कोल्ड में ज्यादातर लोगों के गले में खराश होती है, फिर नाक बहने लगती है और उसके बाद खांसी शुरू होती है। इसके अलावा सिर में दर्द और बुखार कई दिनों तक पीछा नहीं छोड़ते और मरीज कमजोर महसूस करने लगता है। इसमें सिर के साथ साथ मांसपेशियों में भी दर्द होता है। सूखी खांसी होती है और गला बैठ जाता है, गले में बुरी तरह दर्द होता है और बुखार 105 डिग्री तक हो सकता है। एक बार बुखार आ जाए तो कंपन भी उठने लगती है। ऐसे में आप इतना थका हुआ महसूस करते हैं कि बिस्तर से बाहर निकलने की हिम्मत ही नहीं होती। भूख भी नहीं लगती और घंटों नींद आती हैं।
अधिकतर जुकाम या फ्लू वायरस के कारण होते हैं, इसलिए एंटीबायोटिक इन पर असरदार नहीं होते क्योंकि एंटीबायोटिक सिर्फ बैक्टीरिया पर वार कर सकते हैं. पेनिसिलीन जैसी ये दवाएं बैक्टीरिया की कोशिका की दीवार पर हमला करती हैं। ऐसे में बैक्टीरिया जिंदा नहीं रह पाता और बीमारी दूर हो जाती है। लेकिन वायरल इंफेक्शन के दौरान भी कई बार एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है।