Happy Women’s Day 2022: आजमगढ़ का एक ऐसा गांव जहां लड़कियों के सपने होते हैं साकार…

Edited By Mamta Yadav,Updated: 08 Mar, 2022 08:04 PM

happy women s day 2022 mizwan village where girls  dreams come true

उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में स्थित मिज़वां गांव लड़कियों के ख्वाबों को पंख लगाता है। इसी वजह से 12वीं कक्षा की छात्रा प्रतिमा यादव सेना में शामिल होना चाहती हैं जबकि उनकी सहपाठी ज़ीनत बानो डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही हैं। कैफी आज़मी बालिका इंटर...

मिजवां: उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में स्थित मिज़वां गांव लड़कियों के ख्वाबों को पंख लगाता है। इसी वजह से 12वीं कक्षा की छात्रा प्रतिमा यादव सेना में शामिल होना चाहती हैं जबकि उनकी सहपाठी ज़ीनत बानो डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही हैं। कैफी आज़मी बालिका इंटर कॉलेज एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र ने लड़कियों को पितृसत्ता के शिकंजे को तोड़ने का हौसला दिया है। यह स्कूल आज़मगढ़ शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित है और स्कूल में मिज़वां और अन्य गांवों की 300 लड़कियां पढ़ती हैं। कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र आज़मगढ़ में पहला है। इसका नाम मशहूर शायर कैफी आज़मी के नाम पर है और इसकी स्थापना भी उन्होंने ही की है। वह 1980 के दशक के शुरू में इस गांव में रहते थे।

स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं के अभिभावक दिहाड़ी मजदूर हैं जिनके लिए 90 रुपये महीने की फीस देना भी मुश्किल होता है और वह बेटियों की शिक्षा को जारी रखने के लिए फीस माफ भी कराते हैं। ज़ीनत ने कहा, “ मैं इस स्कूल में दाखिला लेने से पहले कहीं और पढ़ती थी लेकिन वहां शिक्षा का मानक अच्छा ऐसा नहीं था जैसा यहां का है।” उनका मानना है कि जो शिक्षा वह प्राप्त कर रही हैं वह उनकी मेडिकल के लिए प्रवेश परीक्षा पास करने में मदद करेगी। आज़मी शायरी और फिल्म जगत में गीतकार के तौर पर नाम कामने के बाद अपने गांव लौटे थे और उन्होंने 1993 में यहां एक कढ़ाई केंद्र भी खोला था। इसके बाद उन्होंने 2000 में एक कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जिसके बाद नौवीं से 12वीं कक्षा के लिए स्कूल खोला। उनका 2002 में निधन हो गया लेकिन उनकी विरासत अब भी है।

आज़मी की बेटी और जानी-मानी अभिनेत्री शाबाना आज़मी मिज़वां वेलफेयर सोसाइटी के कामकाज को संभालती हैं। यह सोसाइटी स्कूल और अन्य संस्थानों का संचालन करती है। शाबाना आज़मी ने पीटीआई-भाषा से कहा, “ उनका (कैफी आज़मी का) मानना था कि अगर भारत को सच में तरक्की करनी है तो उसे अपने गांवों पर ध्यान देना चाहिए, इसलिए उन्होंने मुंबई को छोड़ा और मिज़वां में बस गए जहां उस वक्त किसी तरह की जीवंतता नहीं थी। उन्होंने मिज़वां वेलफेयर सोसाइटी (एनजीओ) बनाई जो बच्चियों और महिलाओं की शिक्षा, कौशल विकास और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित करती है।” उन्होंने अपने पिता की प्रसिद्ध कविता ‘औरत' को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि महिला को पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहिए और चलना चाहिए।

शबाना ने कहा, “ हमने बाल विवाह की कुरीति को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।” अभिनेत्री ने कहा कि शिक्षा लड़कियों को पुरुषों के समान अधिकार मांगने की चेतना देती है और उन्हें जिंदगी, करियर, स्वास्थ्य और शादी में चयन को लेकर जागरुक करती है। कक्षा 12वीं में विज्ञान की छात्रा श्वेता यादव पुलिस अधिकारी बनना चाहती हैं। उनका परिवार चाहता है कि वह उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद जाएं। उन्होंने कहा, “ इस स्कूल का मेरी शिक्षा समृद्धि को बढ़ाने में बड़ी भूमिका है। हमारे पास यहां सारी सुविधाएं हैं। हमने कंप्यूटर सीखा है।” सेना में जाने की इच्छुक प्रतिमा का कहना है कि मिज़वां उनके गांव से सिर्फ दो किलोमीटर है और इसने ‍उनकी पढ़ाई जारी रखने को आसान बनाया है।

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!