Edited By Ramkesh,Updated: 15 Jul, 2023 07:04 PM

Government should
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को दो माह के भीतर राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने का निर्देश दिया है। जागो राजभर जागो समिति की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि दो माह के भीतर...
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को दो माह के भीतर राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने का निर्देश दिया है। जागो राजभर जागो समिति की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि दो माह के भीतर केन्द्र को अपना प्रस्ताव भेज दें। केंद्र सरकार के 11 अक्टूबर 2021 के पत्र के संदर्भ में राज्य सरकार दो माह से अतिरिक्त समय दिया है। दरअसल, जागो राजभर जागो समिति की ओर से दाखिल अवमानना याचिका दायर की गई थी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 11 अक्टूबर 2021 को पत्र लिखकर राज्य सरकार से भर एवं राजभर जातियों को एससी,एसटी का दर्जा देने के संदर्भ में प्रस्ताव मांगा था। जागो राजभर जागो समिति का आरोप है कि इस पत्र के जवाब में राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। जिसे लेकर जिसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को दो माह में प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया था। लेकिन आदेश पर अमल नहीं किया गया। इसके बाद अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण से हलफनामा मांगा।
प्रमुख सचिव के हलफनामे में कहा गया कि राज्य सरकार को जातियों का अध्ययन करने के लिए और समय दिया जाये। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि अधिकतम चार माह के भीतर केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया जाए। हाईकोर्ट ने अब दो माह का अतिरिक्त समय देते हुए 18 सितंबर के हफ्ते में से याचिका सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। समिति का कहना है कि भर एवं राजभर जातियां 1952 के पहले तक ट्राइब्स एक्ट के तहत आती थीं। वर्ष 1952 के बाद उन्हें विमुक्त जाति घोषित कर दिया गया। जबकि क्रिमिनल ट्राइब्स में आने वाली अन्य जातियों को एससी/एसटी में शामिल कर लिया गया।