किसान संगठन अपनी राजनीति को चमकाने के लिये कर रहे है प्रदर्शन: किसान मंच

Edited By Ramkesh,Updated: 24 Sep, 2020 08:36 PM

farmers  organizations are demonstrating to make their politics shine

राष्ट्रीय किसान मंच ने कुछ किसान संगठनों तथा राजनीतिक दलों द्वारा शुक्रवार को किये जा रहे विरोध प्रदर्शन का बहिष्कार करते हुए कहा है कि कुछ लोग अपनी अरसे से बंद पड़ी दुकानों को चमकाने के प्रयास में लगे है।

मथुरा: राष्ट्रीय किसान मंच ने कुछ किसान संगठनों तथा राजनीतिक दलों द्वारा शुक्रवार को किये जा रहे विरोध प्रदर्शन का बहिष्कार करते हुए कहा है कि कुछ लोग अपनी अरसे से बंद पड़ी दुकानों को चमकाने के प्रयास में लगे है। राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने गुरूवार को यहां कहा कि किसानों के नाम पर कुछ लोग कृषि संशोधन विधेयक 2020 विरोध कर रहे है। उन्होंने कहा कि  कुछ किसान संगठन और राजनैतिक दलअसल अरसे से बन्द पडी अपनी दुकानों को चमकाने के लिए विरोध प्रदर्शन का आहृवान कर रहे है। 

उन्होंने कहा कि यदि वास्तव में वे किसान हितैषी थे तो इतने दिनों तक जब केन्द्र एवं राज्यों की सरकारें किसानों की उपेक्षा कर रही थीं तब वे शांत क्यों बैठे रहे। वे इस बिल में आनेवाली व्यवहारिक खामियों का इंतजार करते। उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह लडाई किसान को बचाने के लिये नहीं बल्कि स्वार्थपूर्ति की लडाई है। दीक्षित ने कहा कि कृषि संबंधी तीनों विधेयक संसद से पास होने के बाद जिस प्रकार से विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है उससे लगता है कि विपक्ष इस इंतजार में था कि किसानों की कोई बात केंद्र सरकार की ओर से आए और वे उस पर अपनी राजनीति करना शुरू करे । उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न भागों में गन्ना किसानों का भुगतान समय से नहीं हो पा रहा है। इन संगठनों को उनकी याद कभी नही आई। आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के गठन का ऐलान कर 250 संगठन उनके साथ मिलकर सरकार के खिलाफ 25 सितंबर को सड़कों पर उतरने जा रहे है। उनका यह प्रयास केवल किसान को भ्रमित करने को ही है।

किसान नेता ने कहा कि आज किसान को अपना माल देश की किसी मंडी में ऊंचे दाम पर बेचने की सुविधा मिल रही है तो इसमें नुकसान क्या है। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के विभिन्न जिलों में जो हालात सब्जी आपूर्ति करने वाले किसानों के साथ देखे गए वह काफी भयावह रहे। बिचैलियों ने जो हालात किसानों के सामने पैदा किए किसी न किसी दशा में उससे तो निजात मिलना ही चाहिए । उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान किसान अपनी लौकी लेकर थोक सब्जी मंडी पहुंच गया तो उससे वहां 200 रूपये कुंतल लौकी का भाव साथ में ही बिचैलियों ने 200 रूपये कुंतल की अपनी दलाली भी तय की । उन्होंने प्रश्न किया कि उस समय ये नेता कहां चले गए थे। क्या बिचैलियों द्वारा किसानों का यह बड़ा शोषण नहीं है। उनका कहना था कि देश प्रदेश में कई नामी-गिरामी नेताओ के बहुत सारे वेयरहाउस हैं जिन पर कई हजार करोड़ रुपए का खाद्यान्न खरीदने का कमीशन सरकार से मिलता है ऐसा लगता है कि उनको अपने निजी व्यापार का खतरा इस बिल से दिखाई दे रहा है। वह किसानों की हित की बात करके सड़कों पर उतरने का आह्वान कर रहे हैं।

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