Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 16 May, 2021 05:11 PM

रेगुलेटरी सरचार्ज में बढोत्तरी के जरिये बिजली दरों में इजाफे को बिजली कंपनियों की साजिश करार देते हुये विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोगी की
लखनऊ: रेगुलेटरी सरचार्ज में बढोत्तरी के जरिये बिजली दरों में इजाफे को बिजली कंपनियों की साजिश करार देते हुये विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोगी की होने वाली सुनवाई में पोल खोलने की चेतावनी दी है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आयोग में याचिका दाखिल कर बिजली कम्पनियों के प्रस्ताव को असंवैधानिक करार दिया और उसे खारिज करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि 2019 का टैरिफ आदेश तीन साल बाद रिवाइज्ड करने की बात करना अधिनियम 2003 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार ऐसे किसी भी आदेश पर 90 दिन के अंदर पुनर्विचार हो सकता है मगर यहाँ तीन साल बाद की टैरिफ संशोधन की बात करना पूरी तरह असंवैधानिक हास्यास्पद है। राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने जनहित में ऑनलाइन एक याचिका विद्युत नियामक में दाखिल कर बिजली कम्पनियों के प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की।
उपभोक्ता परिषद् ने अपनी याचिका में जो सवाल खड़ा किया है ,उसमे बिजली कम्पनियो का जो कहना है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओ पर वर्ष 2000 से लेकर अब तक 49827 करोड़ रुपया निकल रहा है इसलिए जैसा की बिन्दु 5 में बिजली कम्पनियो ने मांग उठाई है की टैरिफ आदेश तीन सितम्बर 2019 को संसोधित कर रेगुलेटरी सरचार्ज तय किया जाय जो असंवैधानिक है । क्यों की जो टैरिफ आदेश लागु होकर खत्म हो गया उसकी अधिसूचना 3 वर्ष पहले समाप्त हो चुकी है उसमे संशोधन की बात करना विधुत अधिनियम 2003 व आयोग द्वारा बनाये गये रेगुलेशन का उल्लंघन है।