Edited By Purnima Singh,Updated: 12 Mar, 2025 12:32 PM

सोमवार देर रात गाजियाबाद पुलिस ने साहिबाबाद डिपो की बस से नौकरी के झांसे में म्यांमार में फंसे उत्तर प्रदेश के 21 लोगों को लखनऊ पहुंचाया। लखनऊ पुलिस लाइन में सभी से खुफिया एजेंसियों, एसटीएफ, पुलिस, और साइबर क्राइम सेल द्वारा पूछताछ की गई। जिसके बाद...
लखनऊ : सोमवार देर रात गाजियाबाद पुलिस ने साहिबाबाद डिपो की बस से नौकरी के झांसे में म्यांमार में फंसे उत्तर प्रदेश के 21 लोगों को लखनऊ पहुंचाया। लखनऊ पुलिस लाइन में सभी से खुफिया एजेंसियों, एसटीएफ, पुलिस, और साइबर क्राइम सेल द्वारा पूछताछ की गई। जिसके बाद देर रात इन सभी को उनके अपने जिले के लिए रवाना किया गया।
म्यांमार से लौटे बंधकों को उनके गृह जिले भेजने से पहले सभी से एक प्रोफार्मा भरवाया गया। जिसमें उनसे कई तरह के सवाल पूछे गए। जैसे किसके बुलाने पर म्यांमार गए थे, म्यांमार में कहां रहे, और साइबर ठगों के पास इन्हें कौन ले गया? इसका सूत्रधार कौन है?
पासपोर्ट ज़ब्त कर बनाया गया बंधक
लखनऊ पहुंचे इन लोगों ने बताया कि म्यांमार में इन सभी लोगों से जबरन साइबर ठगी कराई जा रही थी। इन सभी के पासपोर्ट ज़ब्त कर बंधक बनाकर साइबर ठगी कराई जा रही थी। बंधकों ने बताया कि कई लोग सोशल मीडिया के माध्यम से ठगों के संपर्क में आए थे। इंटरव्यू के बाद इन लोगों को नौकरी दी गई थी। गौरतलब हो कि म्यांमार से लखनऊ पहुंचे इन 21 लोगों में कुछ बीटेक तो कुछ एमबीए करे हुए हैं।
ठगी से इनकार करने पर लगाया जाता था करंट
इन लोगों ने बताया कि इन सभी लोगों को एक बिल्डिंग में बंधक बनाकर रखा गया था। ठगों ने इन्हें फर्जी इंस्टाग्राम और फेसबुक प्रोफाइल बनाने का काम दे रखा था। साइबर ठग लड़कियों की फोटो लगाकर अमेरिका के लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। जिसके बाद शिकार फंसने पर इन्हें व्हाट्सएप नंबर लेकर अपने बॉस को देना होता था। इन व्हाट्सएप नंबरों को चीन के साइबर ठगों को उप्लब्ध कराया जाता था। जिसके बाद चीन के ठग इनका गलत इस्तेमाल करते थे। अपनी आपबीती बताते हुए इन लोगों ने बताया कि ठगी से इनकार करने पर इन्हें करंट लगाया जाता था।