शिक्षा करती है चारित्रिक गुणों का उच्चतम विकास: राज्यपाल बोलीं- स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक पाने वाले सभी विद्यार्थी बराबर

Edited By Mamta Yadav,Updated: 08 Nov, 2022 07:51 PM

education does the highest development of character qualities governor said

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के नवम दीक्षांत समारोह के समापन पर कहा कि विद्यार्थियों के जीवन की उपलब्धि का यह विशेष दिन है, शिक्षा सिर्फ सर्टिफिकेट प्राप्त करने की...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के नवम दीक्षांत समारोह के समापन पर कहा कि विद्यार्थियों के जीवन की उपलब्धि का यह विशेष दिन है, शिक्षा सिर्फ सर्टिफिकेट प्राप्त करने की प्रक्रिया मात्र नहीं है। ये उन चारित्रिक गुणों का उच्चतम विकास भी करती है, जिनका प्रारम्भ घर में माता-पिता से प्राप्त प्रारम्भिक शिक्षा से होता है। ये वो संस्कार देती है, जिसका हम अपने व्यवहारिक जीवन में उपयोग करते हैं।

आनंदीबेन ने छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी
पटेल ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी और कहा कि पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी समान रूप से सम्मान के पात्र हैं क्योंकि कुछ अंकों से आगे-पीछे हो जाने से पदक स्वर्ण, रजत और कांस्य की श्रेणी में बंट जाते हैं। जबकि विद्यार्थियों की योग्यता लगभग बराबर ही होती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में सफलता प्राप्त ज्ञान के समुचित उपयोग और जीवन लक्ष्यों को लगन से पूरा करने से प्राप्त होगी।

माँ-बाप बच्चों को पालने और शिक्षा-दीक्षा कराने में अपनी उम्र गुजार देते हैं...
राज्यपाल ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को अपने माता-पिता से जुड़ाव और समर्पण रखने के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि माँ-बाप बच्चों को पालने और शिक्षा-दीक्षा कराने में अपनी उम्र गुजार देते हैं और बच्चे योग्य होकर देश-विदेश में अन्यत्र सेवाएं देने चले जाते हैं। जबकि माता-पिता उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते हुए अकेले रह जाते हैं और जीवन के अवसान को प्राप्त हो जाते हैं। बच्चों को अपने माता-पिता की इस अवस्था में ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि उप्र सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए इस विश्वविद्यालय को स्थापित किया गया। यहाँ से विद्यार्थी ज्ञान-विज्ञान और विविध विषयों में उच्च शिक्षा लेकर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

प्रिया ने अपनी पुस्तकों का सेट राज्यपाल को भेंट किया
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विशेष विश्वविद्यालय दिव्यांगों को दुनिया का सामना करने और जीवन का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम बना रहा है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों का जीवन गढ़ने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि एक शिक्षक का दायित्व है कि वह मानवीय क्षमता से युक्त, वैश्विक द्दष्टि सम्पन्न विद्यार्थियों का सृजन करे। उन्होंने दीक्षांत में रजत पदक प्राप्त विश्वविद्यालय की छात्रा प्रिया द्वारा अंग्रेजी में आठ साहित्यिक पुस्तकों की रचना करने की विशेष सराहना की। उन्होंने प्रिया को विशेष रूप से मंच पर आमंत्रित कर उसका उत्साहवर्धन किया तथा उसके द्वारा रचित साहित्य पर उसका वकतव्य सुना। प्रिया ने अपनी पुस्तकों का सेट राज्यपाल को भेंट किया।

दीक्षांत समारोह में कुल 1506 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई
उल्लेखनीय है कि आज के दीक्षांत कायक्रम का उद्घाटन राज्यपाल द्वारा ‘‘जल भरो‘‘ कार्यक्रम से किया गया। उन्होंने मटकी में जलधारा डालकर जल संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है, वो उतने जल संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास करें। उन्होंने नैक मूल्यांकन की उपयोगिता, रोजगार परक शिक्षा पर भी चर्चा की। राज्यपाल ने 30 द्दृष्टिबाधित स्कूली छात्राओं को पोषण सामग्री तथा वस्त्र प्रदान किए और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया। दीक्षांत समारोह में कुल 1506 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई, जिसमें 150 मेधावी विद्यार्थियों को पदक से अलंकृत किया गया।

राज्यपाल ने संस्थान के 56 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 48 को रजत पदक तथा 46 विद्यार्थियों को कांस्य पदक प्रदान किया। 150 पदकों में 10 दिव्यांग विद्यार्थियों ने 17 पदक प्राप्त किए, जिनमें 03 छात्राएं तथा 07 छात्र हैं। द्दष्टिबाधितार्थ विभाग के एक द्दष्टिबाधित छात्र ने सर्वाधिक पांच पदक प्राप्त किए। उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों में 749 छात्राएं तथा 757 छात्र हैं। इनमें 29 शोध उपाधियां भी दी गई हैं। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के समस्त संकायों के शिक्षक, अधिकारी कर्मचारी छात्र-छात्राएं तथा दष्टिबाधित बेसिक एवं माध्यमिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही छात्राएं भी मौजूद रहीं।

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