अम्बेडकरनगर: निकाय चुनाव में दलित-मुस्लिम दांव BSP का हुआ फेल, 7 सीटों में 3 पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत की दर्ज

Edited By Ramkesh,Updated: 14 May, 2023 02:15 PM

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उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव का नतीजा सब के सामने आ गया है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी को मेयर की किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली है। जब कि इस चुनाव में भाजपा ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की है। बात करे उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले की जिसे...

अंबेडकरनगर, ( कार्तिकेय द्विवेदी):  उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव का नतीजा सब के सामने आ गया है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी को मेयर की किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली है। जब कि इस चुनाव में भाजपा ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की है। बात करे उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले की जिसे बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माना जा जाता है। इस चुनाव में 7 सीटों में से 3 पर जनता ने निर्दलीय 2 सीटों पर सपा, 1 पर भाजपा तथा एक सीट पर बसपा के प्रत्याशियों ने विजय हासिल की है। अकबरपुर नगर पालिका से निर्दल व प्रत्याशी चंद्र प्रकाश वर्मा, टाण्डा से निर्दलीय शवाना नाज, जलालपुर से सपा  प्रत्याशी खुर्शीद जहां, नगर पंचायत न अशरफपुर किछौछा से भाजपा प्रत्याशी ओमकार गुप्ता, राजेसुल्तानपुर से निर्दल प्रत्याशी विनोद ये प्रजापति, जहाँगीरगंज से बसपा प्रत्याशी सुनीता देवी तथा इल्तिफातगंज से सपा प्रत्याशी शमा परवीन विजयी हुई।

नगर पालिका अकबरपुर से निर्दलीय प्रत्याशी चन्द्र प्रकाश वर्मा 20201 मत पाकर विजयी रहे और दुसरे नम्बर पर निर्दल प्रत्याशी नाजरीन वेगम 10772 मत पाकर दूसरे स्थान पर मौजूद रही। वही भाजपा प्रत्याशी सरिता गुप्ता 10592 मत पाकर तीसरे स्थान पर रही। बसपा प्रत्याशी सुरेश कुमार वर्मा 5709 मत पाकर चौथे स्थान, सपा प्रत्याशी शारदा देवी 4453 पांचवे स्थान पर, नोटा 1895 मत पाकर छठे आप से प्रत्याशी रहे शचीन्द्र कुमार 1218 मत से सातवें स्थान, कांग्रेस प्रत्याशी ललित मोहन 1050 मत के साथ आठवे, मन्तराम 1117 मत पाकर नौवे स्थान पर रहे। सुमन रानी 303, बरकत अली 215, अजय पटेल 61, अनिल मिश्रा 75, आलोक कुमार ₹4, मो. इलियास 198, घनश्याम 92. प्रीतम पाल 532, भारती गुप्ता 44, रामवचन 79, ललिता 138, श्याम जी 90, श्याम सुन्दर 30, सतगुरु प्रसाद 176, मो. सलीम को 113 वोट मिले।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिले में जिले में बसपा के पुराने नेताओं का समाजवादी पार्टी में जाना और पार्टी में अंदरूनी कलह की वजह से पार्टी का जनाधार जिले में धीरे-धीरे खिसक रहा है। अब ऐसे में बसपा को 2024 के लिए अलग से रणनीति बनाने की जरूरत है जिसे पार्टी फिर लोकसभा में अपनी 10 सीटों बरकरार रख पाए। फिलहाल अब देखना होगा कि मायावती इस हार के बाद पार्टी में कोई बदलाव करती हैं या इसकी संगठन के सहारे 2024 के चुनावी मैदान में उतरती हैं।

 

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