सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की CBI जांच तेज, 16 इंजीनियर्स समेत 189 लोगों के खिलाफ FIR

Edited By Ajay kumar,Updated: 03 Jun, 2023 11:52 AM

cbi investigation of gomti river front scam intensifies

सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में सीबीआई ने अपनी पड़ताल तेज करते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में आ रहे अभियंताओं की संपत्ति पर एक बार फिर नजर टिका दी है। इसी क्रम में सीबीआई की एक टीम ने शुक्रवार को लखनऊ के विकासनगर में...

लखनऊ: सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में सीबीआई ने अपनी पड़ताल तेज करते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में आ रहे अभियंताओं की संपत्ति पर एक बार फिर नजर टिका दी है। इसी क्रम में सीबीआई की एक टीम ने शुक्रवार को लखनऊ के विकासनगर में केनरा बैंक की शाखा में एक पूर्व मुख्य अभियंता के लाकर को खंगाला। जानकारी के अनुसार इस लाकर में मिले आभूषणों का वजन तौला गया और बरामद नकदी को जब्त किया गया। सीबीआई की तीन सदस्यीय टीम की इस कार्रवाई के दौरान बैंक शाखा का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया और किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया। लाकर खोले जाने की कार्रवाई आरोपी अभियंता व उनकी पत्नी की मौजूदगी में की गई। यह अभियंता छह वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जांच अधिकारी अभी यह जानकारी नहीं दे रहे हैं कि लाकर से कितनी संपत्ति व नकदी बरामद हुई।

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राजस्थान, पश्चिम बंगाल समेत यूपी के 13 जिलों में छापेमारी
सीबीआई ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में पूर्व में 13 जिलों में 40 जगहों के अलावा राजस्थान के अलवर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी छापेमारी की थी। इसमें एक विधायक के भाई के गोरखपुर और लखनऊ स्थित ठिकाने भी शामिल थे। सपा सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में करीब 1438 करोड़ खर्च हुए थे। इस प्रोजेक्ट पर तमाम आरोप लगे थे जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई थी और फिर ईडी व सीबीआई ने जांच की। सीबीआई पिछले माह ही इस मामले में दो पूर्व मुख्य सचिवों से पूछताछ करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है। इससे पूर्व सीबीआई अभी तक कई अभियंताओं, ठेकेदारों व परियोजना से जुड़े अन्य तमाम लोगों से पूछताछ कर चुकी है।

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टेंडर देने के लिए नियमों को ताक पर रखा गया
सीबीआई पूरे मामले की दो चरणों में पड़ताल कर रही है। एक जांच में 1031 करोड़ के 12 कामों से जुड़ी हुई है। दूसरी जांच 407 करोड़ के 661 कामों से जुड़ी है। दूसरे मामले की पड़ताल में सामने आया है कि टेंडर देने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया। आरोप है कि इंजीनियरों ने निजी व्यक्तियों, फर्मों और उनकी कंपनियों से मिलीभगत कर फर्मों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। ठेकों के लिए विज्ञापन या सूचनाएं नहीं दीं, ताकि अपनों को ठेके दिए जा सकें। इस मामले में सीबीआई ने पहले सिंचाई विभाग के 16 इंजीनियर्स समेत 189 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की थी। अभी तक इस मामले में कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। आरोप है कि इंजीनियरों ने निजी व्यक्तियों, फर्मों और उनकी कंपनियों से मिलीभगत कर फर्मों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए।

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सिंचाई विभाग के पूर्व अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव और क्लर्क हो चुके हैं गिरफ्तार-
सीबीआई ने केस दर्ज करने के बाद सामने आए तथ्यों के आधार पर 20 नवंबर 2020 को सिंचाई विभाग के पूर्व अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव और क्लर्क राजकुमार यादव को गिरफ्तार किया था। इनके अलावा कई और को भी सीबीआई अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।

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