UP विधानसभा चुनाव से पहले महंत नरेंद्र गिरि की हत्या एक राजनीतिक सोच, मामले की हो CBI जांच: स्‍वामी चिन्‍मयानंद

Edited By Ramkesh,Updated: 21 Sep, 2021 04:17 PM

cbi inquiry on mahant giri s death will clear the situation swami chinmayanand

पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। स्‍वामी चिन्‍मयानंद ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, '''' उत्तर प्रदेश में...

शाहजहांपुर: पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। स्‍वामी चिन्‍मयानंद ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, '' उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले महंत नरेंद्र गिरि की हत्या एक राजनीतिक सोच है और उनकी सुरक्षा न कर पाने की खबर को मुख्यमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि कुछ राजनीतिक लोग योगी आदित्यनाथ को बदनाम करना चाहते हैं।'' स्‍वामी चिन्‍मयानंद ने दावा किया कि नरेंद्र गिरि बड़े ही जीवट वाले व्यक्ति थे और वह आत्महत्या नहीं कर सकते थे।

उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र गिरि एक राजनीतिक दल के लोगों से संपर्क में रहे और वे लोग गिरि के काफी नजदीक थे तथा नरेंद्र गिरि ने बाघम्बरी अखाड़े की कुछ संपत्ति बेची थी तथा उनके शिष्य आनंद गिरि ने पैसों के लेन-देन पर सवाल भी खड़े किए थे। पूर्व गृह राज्य मंत्री ने कहा कि इसके बाद गुरु-शिष्य में मनमुटाव हो गया और जिनके पास नरेंद्र गिरि का पैसा था, यह उन्हीं की रची साजिश है। उन्होंने कहा, ''नरेंद्र गिरि के पास से जो ‘सुसाइड नोट' मिला है, उसे वह नहीं तैयार कर सकते हैं, यह उन्हीं लोगों की साजिश है, ऐसे में पुलिस का दायरा सीमित है और जहां-जहां कुंभ हुए हैं, वहां भी जांच होनी चाहिए। इसलिए इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए, तभी स्थिति साफ हो पाएगी।'' स्वामी चिन्मयानंद ने दावा किया, '' मैं स्वयं साक्षी हूं और मेरे साथ जो ‘षड्यंत्र' हुआ वह भी योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने के लिए ही हुआ। साधु-संत योगी के राज में सुरक्षित नहीं हैं, यही दिखाने के लिए यह सब घटनाएं हो रही है।''

गौरतलब है कि स्वामी चिन्मयानंद पर उन्हीं के लॉ कालेज की एक छात्रा ने 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसके बाद इस मामले की जांच एसआईटी ने की थी जिसमें स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ने चिन्मयानंद की ओर से पीड़ित छात्रा पर पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का मामला दर्ज कराया था। दोनों मामलों में इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने आरोपियों को बरी कर दिया था।
 

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